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सैनिटरी पैड्स: सिर्फ लड़कियों का विषय नहीं, बेटों को भी समझना होगा

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किशोरावस्था यानी बच्चों के लिए थोड़ा अटपटा समय । उनके शरीर में होने वाले बदलाव उनके लिए सवाल बन जाते हैं। 

किशोरावस्था यानी बच्चों के लिए थोड़ा अटपटा समय । उनके शरीर में होने वाले बदलाव उनके लिए सवाल बन जाते हैं। इसके जवाब के लिए पहले तो वे अपने माता-पिता से उम्मीद रखते हैं, लेकिन अगर जवाब न मिले या मन में किसी तरह का डर हो तो वे इन्हीं जवाबों के लिए दूसरे माध्यमों की तलाश में जुट जाते हैं।

इसका नतीजा कुछ भी हो सकता है। दोस्तों से मिले जवाब उन्हें दिशा भ्रमित कर सकते हैं, इंटरनेट से मिले जवाब उन्हें और कई बातों की ओर आकर्षित कर सकते हैं या फिर कभी-कभी इसके चलते उन्हेंबॉडी र्शेंमग या मजाक का पात्र भी बनना पड़ता है। यह जरूरी है कि उन्हें सही समय पर सही जानकारी मिले और माता-पिता होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है।

कब करें बात?

यह सवाल आपके मन में आता ही होगा कि आखिर इन बातों के बारे में बेटे से बात करनी भी है या नहीं और बात करनी है तो इसकी सही उम्र क्या हो सकती है? बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम शंकर चौरसिया कहते हैं कि बच्चों में किशोरावस्था के लक्षण आपको 9 से 12 साल की उम्र के बीच कभी भी दिख सकते हैं।

इनमें शरीर में बाल आना, अंगों के आकार में वृद्धि, शरीर से गंध आना, आवाज बदलना जैसे लक्षण शामिल हैं। हालांकि इसका कोई तय पैमाना नहीं है कि कौन-सा लक्षण पहले देखने को मिलता है। लेकिन अगर आपको अपने बेटे में ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो उससे किशोरावस्था की बात करने का यही सही समय है।

कैसे करें बात?

झिझक कैसी? आप भी तो इस दौर से गुजरी थीं। याद कीजिए, जब आप टीनएज में थीं, तब कुछ बातें न पता होने के कारण आपको कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसा आपके बेटे के साथ नहीं होना चाहिए। उन्हें मौका देखकर अपने पास बैठाइए, खुद उसे समझाना शुरू कीजिए या फिर इस काम में अपने पति की मदद लीजिए।

बच्चे को बताइए कि उसके गुप्तांगों में दो टेस्टिकल होते हैं, जिनमें स्पर्म बनते हैं। इन स्पर्म से ही बच्चों का जन्म होता है। इनमें विकास के कारण ही उसके अंगों का विकास होता है और कभी-कभी इस कारण उसे कुछ अटपटा महसूस हो सकता है। यह पूरी तरह से सामान्य प्रतिक्रिया है।

अन्य बदलावों पर भी करें बात

किशोरावस्था में केवल एक ही तरह का बदलाव नहीं होता है। आपके बच्चे की गंध भी बदलने लगती है। उसे उन जगहों पर बाल आने लगते हैं, जो उसे अजीब लग सकते हैं और उसे इसके लिए शर्म भी महसूस हो सकती है। आप अपने बच्चे को ट्रिमर तोहफे में देकर उसे पर्सनल हाइजीन के बारे में बता सकती हैं। अगर शरीर से ज्यादा गंध आती है तो उसे नहाने की सलाह दें और बताएं कि किस तरह पसीना ज्यादा आने से उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिससे शरीर से गंध आने लगी है। बढ़ती उम्र में ऐसा होना सामान्य है।

अगर आवाज बदल रही है तो भी उसे समझाएं कि उसे गले में जलन महसूस हो सकती है, आवाज भारी होने से पहले फटने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसका वॉयस बॉक्स बढ़ रहा होता है और उसका कंठ फूटना शुरू हो चुका है।

ये बातें आएंगी काम

  • बच्चे के हर सवाल पर उसे डांटकर बात को छुपाना बंद करें। बातों को सामान्य बना रहने दें।
  • उन्हें लड़कियों की किशोरावस्था के बारे में भी समझाएं और सैनेटरी पैड को छिपाकर रखना बंद करें। इसकी आपके घर में मौजूदगी आपके बेटे के लिए सामान्य बात होनी चाहिए।
  • आपको ऑनलाइन या बुक स्टोर में ऐसी किताबें मिल जाएंगी जो उसे किशोरावस्था को समझने में मदद कर सकती हैं।
  • ऑनलाइन ऐसे ऐप भी मौजूद हैं जो बच्चों को किशोरावस्था के बारे में समझाते हैं।
  • आप ऐसे यूट्यूब वीडियो का सहारा ले सकती हैं जिन्हें दिखाकर अपनी बात को बेहतर तरीके से उस तक पहुंचा सकती हैं। लेकन इन वीडियो पर अपना नियंत्रण रखें।
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