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Alwar सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी

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अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवरसुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का टाइगर रिजर्व (एसटीआर) की बाउण्ड्री को लेकर चेतावनी दी है कि इसको लेकर दिए गए आदेशों की अवहेलना या बाउण्ड्री से छेडछाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब इस मामले पर 25 सितबर को सुनवाई होगी।न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायाधीश के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इन्टरवीनर बनने के लिए अलवर के अनिल जाधव की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर बुधवार को सुनवाई की। मामला सरिस्का टाइगर रिजर्व और पांडुपोल हनुमान मंदिर क्षेत्र के प्रबंधन और संरक्षण के संबंध में केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों से संबंधित है। अलवर के अनिल जाधव ने प्रार्थना पत्र पेश कर आरोप लगाया कि राज्य सरकार सीईसी की सिफारिशों की आड़ में एसटीआर के एक किमी दायरे में खनन की अनुमति देने के लिए सीमाओं को बदल सकती है।

प्रार्थना पत्र में सीमाओं में बदलाव रोकने का आग्रह किया गया है। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि आरोप निराधार हैं। बिना प्रक्रिया बदलाव नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया, लेकिन मौखिक रूप से कहा कि कोई बदलाव किया या आदेश का उल्लंघन हुआ तो कोर्ट अवश्य मामले को देखेगा। इस मामले में सीईसी ने रिपोर्ट दे रखी है कि पांडुपोल मंदिर जाने के लिए 31 मार्च, 2025 तक निजी वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए और उनकी जगह इलेक्ट्रिक शटल बस शुरू की जाएं। भविष्य के लिए ट्रामवे, एलिवेटेड रोड और मोटरेबल ट्िवन टनल जैसे प्रस्तावों की खोज की जा रही है। सीईसी ने बफर जोन में होटल संचालन के लिए सत नियमों की भी सिफारिश की है। राज्य सरकार सीईसी की सिफारिशों पर सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। हालांकि, सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों के संचालन और क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) सीमाओं में समायोजन जैसी विशिष्ट सिफारिशों को लागू करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। साथ ही, न्यायालय को आश्वासन दिया कि 31 दिसंबर, 2025 तक ग्रामीणों के पुनर्वास और टाइगर रिजर्व में मवेशियों के चरने के क्षेत्र को कम करने की योजना है। राज्य सरकार मार्च, 2026 तक वन कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने और नई टाइगर संरक्षण योजना को 

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