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पिता ने बड़े अरमानों से बेटे को दिलया बाइक,ऐसा क्या हुआ जो खुद चौराहे पर खड़ी कर लगा दी बाइक पर आग…

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जिस पिता ने बड़े अरमानों से अपने बेटे को नई बाइक खरीदकर दी. एक दिन चौराहे पर खड़ी कर खुद उसे आग के हवाले कर दिया. यही नहीं, शख्स ने बाकायदा वीडियो रिकॉर्ड कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ, जो इतना कठोर बन गया एक पिता.

मां-बाप अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर किस हद तक परेशान हो सकते हैं, मलेशिया में इसकी ताजा बानगी देखने को मिली. यहां एक पिता ने बड़े अरमानों से अपने बेटे को बाइक खरीदकर दी थी, लेकिन बाद में खुद ही बीच चौराहे पर गाड़ी खड़ी कर उसे आग के हवाले कर दिया. इतना ही नहीं, शख्स ने बाकायदा इसका पूरा वीडियो रिकॉर्ड किया उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ, जो एक पिता इतना कठोर बन गया.

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चों को वो तमाम सुविधाएं मिले, जिनकी उन्हें जरूरत होती है. लेकिन कई मर्तबा ये सुविधाएं मुसीबत का कारण भी बन जाती हैं, जिसके बाद न चाहते हुए भी माता-पिता को कठोर कदम उठाने पड़ते हैं. मलेशिया के कुआलालम्पुर से ऐसा ही एक मामला सामने आया है.

लोकल मीडिया आउटलेट ‘सिन च्यू डेली’ के अनुसार, शाह आलम नाम के एक व्यक्ति ने अपने बेटे को खुद बाइक खरीदकर दी थी, ताकि वह आराम से स्कूल जा सके. लेकिन जब उसने बाइक का दुरुपयोग करना शुरू किया, और खतरे की संभावनाएं बढ़ने लगीं तब पिता ने ऐसा कदम उठाया, जिसकी बेटे ने भी कल्पना नहीं की थी. शख्स ने गाड़ी में आग लगाकर उसे राख कर दिया. सोशल मीडिया यूजर्स शाह आलम के सख्ती के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं.

शख्स ने अपने वीडियो में बताया कि उसका बेटा बाइक चलाने का आदी हो चुका था. वो खतरनाक रेस में हिस्सा लेने लगा था. काफी देर से घर लौटता था. इस कारण हमेशा बेटे की सुरक्षा का डर सताता रहता था. शाह आलम ने कहा, ‘कई बार समझाने की कोशिश की, पर वो नहीं माना. ऐसे में मैंने फैसला किया कि एक्सीडेंट में बेटे की जान जाए, उससे पहले बाइक को ही नष्ट कर दूंगा.’

इस घटना को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं थीं. जहां अधिकांश लोगों ने शाह आलम के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी समस्या को हल करने के कई तरीके होते हैं. गुस्से में उठाया गया कदम सही नहीं होता. बाइक जलाने का तरीका बच्चे के मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. बेहतर होता कि बातचीत या अन्य तरीकों से इस मसले को सुलझाया होता. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि कभी-कभी कठोर फैसले भी लेने पड़ते हैं. बाइक बच्चे से बढ़कर नहीं है.

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