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जाति आधारित गणना को लेकर सिद्धारमैया का बयान, बोले- हमारी सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी

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Siddaramaiah News : सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट (जाति आधारित गणना) को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों की ओर से बढ़ते विरोध के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट 11 अप्रैल को मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई और 17 अप्रैल को होने वाली मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने 2015 में राज्य में सर्वेक्षण कराया था। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को, उसके तत्कालीन अध्यक्ष एच. कंथाराजू के नेतृत्व में, जाति आधारित गणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।

कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत ने इस सर्वेक्षण पर आपत्ति जताते हुए इसे अवैज्ञानिक बताया है तथा मांग की है कि इसे खारिज किया जाए तथा नया सर्वेक्षण कराया जाए। समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा भी इस पर आपत्ति जताई गई है तथा सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर से भी इसके खिलाफ तीखी आवाजें उठ रही हैं।

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सिद्धारमैया ने कलबुर्गी में कहा, हमने बैठक बुलाई है। हम कल मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर चर्चा करेंगे। यह एकमात्र विषय है जिस पर मंत्रिमंडल में चर्चा होगी। यह वास्तव में एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण है, जाति आधारित गणना नहीं। हम इस पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे।

मंगलवार रात जाति आधारित गणना पर चर्चा के लिए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के नेतृत्व में वोक्कालिगा विधायकों की बैठक के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने कहा, उन्हें ऐसा करने दें। उन्हें मंत्रिमंडल में अपनी राय साझा करनी होगी। पांच वोक्कालिगा मंत्री हैं। उन्हें रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अपनी राय साझा करनी होगी।

उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं विधायक शमनुरु शिवशंकरप्पा के जाति आधारित गणना के खिलाफ बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, यह एक सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण है। किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की जनसंख्या 66.35 लाख और वोक्कालिगा समुदाय की जनसंख्या 61.58 लाख बताई गई है।

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सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली अपनी ही पार्टी की सरकार को एक सख्त संदेश में शिवशंकरप्पा ने पूछा कि क्या सरकार का नेतृत्व करने वाले लोग वीरशैव-लिंगायतों और वोक्कालिगा के विरोध का सामना करते हुए अपना शासन जारी रख सकते हैं। शिवशंकरप्पा वीरशैव-लिंगायत समुदाय की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के प्रमुख भी हैं।

उन्होंने कहा, यदि वे (रिपोर्ट के साथ आगे बढ़ने का) फैसला करते हैं, तो इसका उल्टा असर होगा। राज्य में प्रमुख समुदाय हैं- पहला वीरशैव और दूसरा वोक्कालिगा। क्या वे इन दो समुदायों के विरोध का सामना करते हुए अपना शासन जारी रख सकते हैं? हम (वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा) एक साथ लड़ेंगे।

चन्नगिरी से कांग्रेस के एक अन्य विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने कहा कि जाति आधारित गणना रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए और न ही लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे सभी विधायकों की एक बैठक बुलाकर इसके पक्ष-विपक्ष पर चर्चा करें और फिर इसे लागू करने पर निर्णय लें।

उन्होंने कहा, शिवशंकरप्पा जैसे वरिष्ठ नेता ने समुदाय के पक्ष में बात की है और एक कड़ा संदेश दिया है। मैं उनका समर्थन करता हूं, लेकिन मैं केवल अपने (वीरशैव लिंगायत) समुदाय के लिए नहीं बोलना चाहता, कई अन्य समुदाय भी अन्याय महसूस करते हैं।

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वीरशैव-लिंगायत मंत्रियों पर समुदाय के पार्टी विधायकों की बैठक न बुलाने के लिए निशाना साधते हुए शिवगंगा ने सरकार में सात लिंगायत मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा, उनमें क्या नैतिकता है। मैंने चर्चा के लिए मंत्री ईश्वर खंड्रे को फोन करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया।

उन्होंने कहा, सात लिंगायत मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए। जब समुदाय अन्याय का सामना कर रहा है, तो उनमें खड़े होने की क्षमता नहीं है। क्या उन्होंने अब तक कोई बैठक बुलाई है? वे स्वार्थी हो गए हैं। मैं उनसे आग्रह करता हूं कि कम से कम अब तो वे बैठक बुलाएं।

प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय की शीर्ष संस्था वोक्कालिगा संघ ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया और इसे अवैज्ञानिक बताया। उन्होंने राज्य सरकार से इसे खारिज करने और नए सिरे से सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया है। वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा दोनों ही समुदायों ने आरोप लगाया है कि उनकी विभिन्न उपजातियों को ओबीसी की विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी संबंधित जनसंख्या संख्या में कमी आई है।

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उन्होंने आरोप लगाया है कि कई घरों को सर्वेक्षण से बाहर रखा गया है। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने 2015 में राज्य में सर्वेक्षण कराया था। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को, उसके तत्कालीन अध्यक्ष एच. कंथाराजू के नेतृत्व में, जाति आधारित गणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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