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Zero Balance Alert: अब इन 4 बैंकों में सेविंग अकाउंट रहेगा फ्री, जीरो बैलेंस पर भी नहीं लगेगा जुर्माना!

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Minimum Balance Rule On Savings Account : देश के बैंकिंग सेक्टर में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जो बचत खाताधारकों के लिए खुशखबरी लेकर आया है। कई सरकारी बैंकों ने अपने बचत खातों (Savings Account) पर मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है।

इसका मतलब है कि अब आपको अपने खाते में न्यूनतम राशि बनाए रखने की चिंता नहीं करनी होगी, न ही इसके लिए कोई पेनल्टी देनी पड़ेगी। यह कदम उन लाखों ग्राहकों के लिए राहत की सांस लेकर आया है, जो मिनिमम बैलेंस न रख पाने के कारण हर साल जुर्माना भरते थे।

क्या था मिनिमम बैलेंस का नियम?

दरअसल, ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों से अपेक्षा करते हैं कि उनके बचत खाते में एक निश्चित न्यूनतम राशि (Average Monthly Balance - AMB) हमेशा मौजूद रहे। अगर खाते में यह राशि कम होती थी, तो बैंक पेनल्टी वसूलते थे। यह जुर्माना खाते के प्रकार और बैंक की नीतियों के आधार पर अलग-अलग होता था। पिछले कई सालों में बैंकों ने इस नियम के तहत ग्राहकों से करोड़ों रुपये वसूले, जिससे कई लोगों को आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ा। लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव आ रहा है।

किन बैंकों ने दी राहत?

देश के चार प्रमुख सरकारी बैंकों - स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), और इंडियन बैंक - ने अपने बचत खातों पर मिनिमम बैलेंस की शर्त को हटा दिया है। साथ ही, इन बैंकों ने मिनिमम बैलेंस न रखने की स्थिति में लगने वाली पेनल्टी को भी पूरी तरह खत्म कर दिया है। इस फैसले से ग्राहकों को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि बैंकिंग अनुभव भी पहले से बेहतर होगा।

ग्राहकों पर क्या होगा असर?

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा उन ग्राहकों को होगा, जो आर्थिक तंगी के कारण अपने खाते में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं कर पाते थे। पहले ऐसे ग्राहकों के खाते से पेनल्टी के रूप में राशि काट ली जाती थी, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती थीं। अब SBI, PNB, केनरा बैंक और इंडियन बैंक जैसे बैंकों के ग्राहकों को इस झंझट से छुटकारा मिलेगा। यह कदम न केवल ग्राहकों के बीच भरोसा बढ़ाएगा, बल्कि बैंकिंग को और भी समावेशी बनाएगा।

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