रोहतक शहर में एक बार फिर पुलिस ने अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली बाईपास के होटलों में चल रहे वेश्यावृत्ति के अवैध धंधे को उजागर किया है। यह कार्रवाई न केवल अपराधियों के लिए सबक है, बल्कि समाज में व्याप्त इस गंभीर समस्या पर भी रोशनी डालती है। स्थानीय पुलिस की तत्परता और सूझबूझ ने न सिर्फ तीन आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुँचाया, बल्कि दो युवतियों को इस दलदल से आजादी भी दिलाई।
गुप्त सूचना ने खोला राज
बात उस समय की है, जब रोहतक पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि दिल्ली बाईपास के कुछ होटलों में अनैतिक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं। इस जानकारी को गंभीरता से लेते हुए सहायक पुलिस अधीक्षक वाई. वी. आर. शशि शेखर ने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र बिजारणिया के मार्गदर्शन में उप पुलिस अधीक्षक गुलाब सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम में थाना अर्बन एस्टेट और थाना महिला की अलग-अलग इकाइयाँ शामिल थीं, जो एक साथ कई होटलों पर छापेमारी के लिए निकलीं।
चतुराई से रची गई योजना
पुलिस ने इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय और सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया। होटल के अंदर की हकीकत जानने के लिए पुलिस ने फर्जी ग्राहकों को भेजा, ताकि वहाँ चल रही गतिविधियों का सटीक पता लगाया जा सके। जैसे ही पुख्ता सबूत मिले, पुलिस की टीमें एक साथ कई होटलों में दाखिल हुईं। इस छापेमारी में पुलिस ने एक युवती और दो युवकों को मौके पर पकड़ लिया, जो इस अवैध धंधे में लिप्त थे।
दो युवतियों को मिली नई जिंदगी
इस कार्रवाई का सबसे सकारात्मक पहलू रहा दो युवतियों का मुक्त होना, जिन्हें जबरदस्ती इस गलत रास्ते पर धकेला गया था। इन युवतियों को सुरक्षित निकालकर पुलिस ने न केवल उनकी जिंदगी को नया मौका दिया, बल्कि उनके बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराए। यह कदम न सिर्फ पीड़िताओं के लिए न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई को भी मजबूती देता है।
कानून का शिकंजा और फरार मालिक की तलाश
पकड़े गए तीनों आरोपियों के खिलाफ अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7 और बीएनएस की धारा 143(2), 144(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। अदालत में पेश करने के बाद इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि, इस पूरे मामले में होटल मालिक अभी भी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है, ताकि इस नेटवर्क के हर पहलू को उजागर किया जा सके।
रोहतक पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि अपराध के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह घटना हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में ऐसी बुराइयों को खत्म करने के लिए सिर्फ कानूनी कार्रवाई ही काफी नहीं है।
हमें जागरूकता, शिक्षा और सामाजिक सहयोग के जरिए इन समस्याओं की जड़ तक पहुँचने की जरूरत है। रोहतक पुलिस की यह सफलता न केवल अपराधियों के लिए चेतावनी है, बल्कि समाज के हर तबके के लिए एक प्रेरणा भी है कि एकजुट होकर हम अपने आसपास के माहौल को और बेहतर बना सकते हैं।
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