उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री पैदल मार्ग पर एक दुखद हादसा सामने आया है। सोमवार दोपहर, नौ कैंची बैंड के पास अचानक पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर गिर गया, जिसके मलबे में कई तीर्थयात्री दब गए। यह घटना बिना किसी बारिश के हुई, जिसने स्थानीय प्रशासन और यात्रियों को स्तब्ध कर दिया। तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किए गए, जिसमें एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। इस भयावह दुर्घटना में दो यात्रियों के शव बरामद किए गए, जबकि एक घायल व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। इस हादसे ने यमुनोत्री यात्रा की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं और प्रशासन को तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
हादसे का भयानक मंजरसोमवार को दोपहर करीब 4:12 बजे, यमुनोत्री पैदल मार्ग पर नौ कैंची बैंड के पास अचानक एक भयानक धमाका सुनाई दिया। देखते ही देखते पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा खिसक गया और भारी मलबा मार्ग पर आ गिरा। इस अप्रत्याशित घटना ने वहां मौजूद तीर्थयात्रियों में दहशत फैला दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मलबा इतनी तेजी से गिरा कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। कुछ यात्रियों के मलबे में दबने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है।
त्वरित बचाव कार्यघटना की सूचना मिलते ही उत्तरकाशी पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें तुरंत हरकत में आईं। राहत और बचाव कार्य शुरू करने के लिए भारी मशीनरी और प्रशिक्षित कर्मियों को मौके पर भेजा गया। जिला सूचना अधिकारी ने बताया कि मलबे में दबे दो लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि एक घायल यात्री को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बचाव दल मलबे को हटाने में जुटे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि और कितने लोग इसकी चपेट में आए हैं।
यात्रा मार्ग पर सुरक्षा चिंताएंइस हादसे ने यमुनोत्री पैदल मार्ग की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नौ कैंची बैंड के पास पहले भी छोटे-मोटे भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार की घटना ने प्रशासन को हिला दिया। सुरक्षा के मद्देनजर, पुलिस ने इस क्षेत्र में पैदल आवाजाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री अब मांग कर रहे हैं कि मार्ग की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, जैसे कि पहाड़ी क्षेत्रों में रिटेनिंग वॉल्स और नियमित भूगर्भीय जांच।
आगे की चुनौतियां और सावधानियांयह हादसा न केवल तीर्थयात्रियों के लिए बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाएं आम हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से तैयारी और बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि यमुनोत्री जैसे तीर्थस्थलों पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए, मार्गों की नियमित निगरानी और मजबूतीकरण अनिवार्य है। साथ ही, यात्रियों को भी मौसम और मार्ग की स्थिति के बारे में पहले से जानकारी लेने की सलाह दी जा रही है।