बलरामपुर, 13 अप्रैल . जल ही जीवन है और पानी को मूलभूत सुविधाओं की श्रेणी में रखा गया है लेकिन बलरामपुर राज्य का शायद एक ऐसी नगर पालिका होगी जहां आज भी लोगों के घरों में पेयजल सप्लाई की व्यवस्था नहीं है. आज के समय में जब ग्राम पंचायतों में टंकी के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन जिला मुख्यालय होने के बाद भी विगत 12-13 वर्षों से नगरवासी बोर के पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है. हैरानी की बात तो यह है कि पेयजल सप्लाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, पानी टंकी भी बनी हुई है और पाइप लाइन का विस्तार भी वार्डों में हो चुका है लेकिन पानी सप्लाई को लेकर किसी प्रकार की कोई पहल पिछले कई वर्षों में किसी भी सरकार ने नहीं की.
वर्षों पहले बन चुके ट्रीटमेंट प्लांट से सप्लाई के लिए अभी भी अधिकारी टेस्टिंग करने का ही दावा कर रहे हैं, लेकिन पानी सप्लाई के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे है.
उल्लेखनीय है कि जिला बनने से पहले नगर में पानी सप्लाई के लिए पानी टंकी स्थापित थी, पाइप लाइन का विस्तार था और चनान नदी से लोगों के घरों में सुबह शाम पानी की सप्लाई होती थी, लेकिन जिला बनने के बाद बलरामपुर में पानी सप्लाई की यह व्यवस्था पूर्ण रूप से ठप हो गई. वर्ष 2012 में जिला बनने के बाद वर्ष 2014 के आसपास विकास के नाम पर सड़कों के निर्माण का कार्य शुरू हुआ और गौरव पथ का निर्माण कार्य के दौरान बिछाई गई पाइप लाइन को उखाड़कर फेंक दिया गया और इसी के बाद से अब तक लोगों को घरों में पानी सप्लाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाई हैं.
जनप्रतिनिधि हो या अधिकारी किसी ने भी इस विकराल समस्या से निपटने के लिए कोई पहल नहीं की और यही वजह रही कि लोग अपने घरों में बोर करके पानी और दैनिक उपयोग के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे है जबकि वर्तमान स्थिति में ग्रामीण इलाकों में भी पानी टंकी स्थापित कर नल जल योजना के तहत लोगों के घरों तक पानी पहुंचाई जा रही है लेकिन दुर्भाग्य है कि जिला मुख्यालय के नगर पालिका क्षेत्र में लोगों को पानी नहीं मिल रहा है.
शहर में पेयजल सप्लाई के लिए डब्ल्यूटीपी का निर्माण चनान नदी किनारे किया गया है, लेकिन वर्तमान में नदी पूरी तरह से सुख चुकी है. नदी सूखने के बाद कुछ किसानों द्वारा अलग अलग स्थानों पांच से छह हाथ बोर लगाए गए है के इस बोर के माध्यम से लोग अपने खेतों में पानी की सिंचाई कर रहे है. हैरानी की बात तो यह है कि अधिकारी डब्ल्यूटीपी के टेस्टिंग की बात कह रहे है लेकिन जब नदी में पानी ही नहीं है तो टेस्टिंग कैसे होगी. नगर पालिका व जिला प्रशासन द्वारा अब तक किसी दूसरे विकल्प की ओर ध्यान नहीं दिया है.
नगर पालिका उपाध्यक्ष दिलीप सोनी ने रविवार को बताया कि नगर के 95 प्रतिशत घरों में लोग बोर के पानी का उपयोग करते है. नदी में फिल्टर प्लांट स्थापित है और पाइप लाइन बिछा हुआ है. पूर्व की सरकार ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया. हमारी सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर है और पेयजल सप्लाई हेतु प्रयास किए जा रहे हैं.
मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रणव राय ने बताया कि नगर में फिलहाल लोगों द्वारा बोर के पानी का उपयोग किया जाता है. पेयजल सप्लाई के लिए डब्ल्यूपीटी बना हुआ है पाइप लाइन का विस्तार वार्डों में हो चुका है. पीएचई विभाग की टेस्टिंग करनी है लेकिन चनान नदी में पानी ही नहीं है.
/ विष्णु पाण्डेय
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