गुवाहाटी, 10 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी, असम प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता किशोर कुमार उपाध्याय ने कहा है कि असम की एक इंच भी अतिक्रमित भूमि को छोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति और संगठन अवैध घुसपैठियों को बेदखली से बचाने के लिए योजनाबद्ध प्रयास कर रहे हैं, जिसकी भाजपा कड़ी निंदा करती है। ये संगठन न केवल सरकार की वैधानिक कार्रवाई में बाधा डाल रहे हैं, बल्कि असम के मूल निवासियों को भ्रमित कर राजनीतिक ब्लैकमेलिंग का प्रयास कर रहे हैं।
किशोर उपाध्याय गुरुवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी पीजीआर, वीजीआर, वनभूमि, जलाशय या किसी भी प्रकार की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ये ज़मीनें असम के मूल निवासियों की हैं और उन्हीं के पास रहेंगी।
उन्होंने कहा कि असमिया भाषा हमारी मातृभाषा, राज्य की प्रमुख आधिकारिक भाषा है, जिसे भारतीय संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है। कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि यदि बंगाली मूल के लोग असमिया बोलना बंद कर दें तो असमिया भाषा का गौरव घट जाएगा — यह पूरी तरह निराधार है। हमारी भाषा अपनी शाश्वत धारा में बहती रहेगी।
इतिहास की ओर संकेत करते हुए उपाध्याय ने कहा कि बांग्लादेश की स्थापना 1971 में भाषा के आधार पर हुई थी, धर्म के नहीं। बांग्लादेश के निर्माण में 25 फीसदी बंगाली हिंदुओं ने भी हिस्सा लिया था, लेकिन आज उनमें से केवल छह फीसदी हिंदू ही वहां बचे हैं — बाकी या तो विस्थापित हुए, जबरन धर्मांतरण का शिकार बने या तो अपनी बेटियों के साथ दुष्कर्म होते देखना पड़ा।
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि मुस्लिम नेतृत्व ने भाषा के नाम पर सत्ता हासिल की लेकिन शासन के लिए शरीयत क़ानून लागू किया। आज जो असमिया भाषा और अस्मिता का विरोध कर रहे हैं, वे पहले बांग्लादेश का इतिहास पढ़ें। असमिया भाषा से उनका भावनात्मक लगाव नहीं, बल्कि एक सुनियोजित ब्लैकमेलिंग है। उनका उद्देश्य है — ज़मीन हथियाना, जनसंख्या संतुलन बदलना और असम की संस्कृति व राजनीति पर वर्चस्व स्थापित करना।
2011 की जनगणना के हवाले से उन्होंने बताया कि असम में मुस्लिम आबादी 1.06 करोड़ थी, जिनमें लगभग 92 लाख बंगालीभाषी थे। भले ही 40 लाख बंगाली हिंदू अलग कर दिए जाएं, फिर भी 52–60 लाख बंगाली मूल के मुसलमानों ने बंगाली को अपनी मातृभाषा बताया है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कलगछिया सर्किल में 1,39,178 बंगाली भाषी मुसलमान थे, जबकि केवल 1,391 बंगाली भाषी हिंदू। बाघबर में कुल जनसंख्या 2,90,158 थी, जिसमें से केवल 10,789 बंगाली भाषी हिंदू थे। ये आंकड़े संयोग नहीं, बल्कि एक गहरी और खतरनाक बांग्लादेशी विस्तार की साजिश को उजागर करते हैं।
मुख्य प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कुछ संगठन बेदखली और भाषा के मुद्दे पर भावनात्मक माहौल बनाकर अवैध अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं और राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं।
भाजपा का स्पष्ट संदेश है — असम की एक इंच ज़मीन भी अवैध कब्जे में नहीं रहने दी जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में भाजपा सरकार मज़बूत, एकजुट और संकल्पित है — असम की ज़मीन, भाषा, संस्कृति और विरासत की रक्षा के लिए।
उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को उनके साहसी और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए धन्यवाद् देते हुए कहा कि उनके अडिग रुख ने हर असमिया के दिल में गर्व और आत्मविश्वास पैदा किया है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश