New Delhi, 31 अक्टूबर. Indian सेना की एक जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के एक कर्नल को साथी अधिकारी की पत्नी से अवैध संबंध रखने का दोषी पाते हुए सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया है. यह मामला मई में चंडीगढ़ स्थित ‘एन’ एरिया में शुरू हुआ था, जहां अदालत ने आरोपी अधिकारी को चार में से तीन आरोपों में दोषी करार दिया.
आरोप और फैसला‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, पहला आरोप सेना अधिनियम की धारा 45 के तहत था, जो “एक अधिकारी द्वारा अपने पद और चरित्र के अनुरूप न होने वाले आचरण” से संबंधित है. आरोप था कि सितंबर 2021 से अगस्त 2022 के बीच आरोपी कर्नल अपने साथी अधिकारी की पत्नी से देर रात फोन पर संपर्क में रहता था. इस आरोप से अदालत ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया.
हालांकि, धारा 45 के तहत लगाए गए दूसरे और तीसरे आरोपों में अदालत ने उसे दोषी ठहराया. आरोप था कि आरोपी कर्नल ने सितंबर 2021 में हरिद्वार के होटल रेडिसन ब्लू और अप्रैल 2022 में देहरादून के होटल एनजे पोर्टिको में उस महिला के साथ ठहराव किया था.
चौथा आरोप सेना अधिनियम की धारा 69 के अंतर्गत था, जिसमें कहा गया कि अधिकारी ने धोखाधड़ी से उस महिला का जाली डिपेंडेंट कार्ड इस्तेमाल किया. इस आरोप में भी आरोपी को दोषी पाया गया.
शिकायतकर्ता कर्नल की गवाहीशिकायतकर्ता कर्नल ने गवाही में बताया कि दिसंबर 2006 में उनका विवाह हुआ था और वे अपनी पत्नी के साथ सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत कर रहे थे. लेकिन हरिद्वार की छुट्टी से लौटने और लेह यात्रा के बाद उनकी पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन आने लगा. लेह यात्रा के दौरान महिला उसी आवास में ठहरी थी जिसकी व्यवस्था स्वयं आरोपी कर्नल ने की थी.
महिला का पक्षमहिला ने अदालत में कहा कि वह पिछले 16 वर्षों से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रही थी और अब अपने पति के साथ नहीं रह सकती. उसने बताया कि आरोपी कर्नल उसका बचपन का सहपाठी है और एक वयस्क महिला के रूप में यह उसका अधिकार है कि वह किससे बात करे या न करे.
महिला ने किसी भी होटल में आरोपी कर्नल के साथ ठहरने के आरोपों को सिरे से नकार दिया.
इस कोर्ट मार्शल की अध्यक्षता मुख्यालय यूनिफॉर्म फोर्स के ब्रिगेडियर जगमिंदर सिंह गिल ने की, जबकि इसमें छह कर्नल सदस्य के रूप में शामिल थे. यह कार्रवाई 8 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल के. महेश के आदेश पर शुरू की गई थी.
अब यह फैसला कन्वीनिंग अथॉरिटी की पुष्टि के बाद अंतिम रूप लेगा. सेना के नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसे निर्णय की पुष्टि से पहले आरोपी अधिकारी को अपील का अवसर दिया जाता है.
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