प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में महाराणा प्रताप जयंती समारोह
उदयपुर, 28 मई . राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती की पूर्व संध्या पर कहा कि प्रताप जैसे महापुरुषों पर बोलना वास्तव में सूरज को दीपक दिखाने जैसा है. वे न केवल मेवाड़ की माटी के सच्चे सपूत थे, बल्कि भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक थे. उनके अदम्य साहस, अपराजेय शौर्य और राष्ट्रभक्ति ने भारतीय इतिहास की धारा को नई दिशा दी. जब समूचा भारत मुगलों की अधीनता स्वीकार कर चुका था, तब महाराणा प्रताप ने न केवल स्वतंत्रता का बिगुल फूंका, बल्कि हल्दीघाटी की धरती पर मुगल साम्राज्य की नींव हिला दी.
राज्यपाल बुधवार सायंकाल यहां प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ के कुंभा सभागार में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. राज्यपाल ने अपने भावपूर्ण वक्तव्य में चित्तौड़ के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि अलाउद्दीन खिलजी जैसे आक्रांता की विशाल सेना को चित्तौड़ के रणबांकुरों ने मुंहतोड़ जवाब दिया. इस अवसर पर राज्यपाल ने यह भी उल्लेख किया कि इतनी तेज वर्षा के बावजूद समारोह में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति, महाराणा प्रताप के प्रति जन आस्था, सम्मान और राष्ट्रभक्ति की भावना का परिचायक है.
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने युवाओं से विशेष रूप से आह्वान करते हुए कहा कि वे महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लें. यदि इतिहास की कल्पना की जाए और यह मानें कि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज एक ही युग में जन्म लेते, तो आज भारत की छवि और भी गौरवशाली होती.
राज्यपाल ने यह भी कहा कि मेवाड़ की धरती राष्ट्रधर्म के लिए सतत संघर्ष करती रही है. यहां की हवाओं में ही देशभक्ति बसी हुई है. उन्होंने कहा कि आज के समय में राष्ट्रभक्ति को फिर से केंद्र में लाना होगा और इसके लिए सबसे पहले इतिहास की पुनः व्याख्या करनी होगी. बहुत बार इतिहास को इस तरह लिखा गया जिससे राजपूत वीरता को कमतर दिखाया गया.
उन्होंने विशेष रूप से कहा कि इतिहास में अकबर का वर्णन बहुतायत में है, जबकि महाराणा प्रताप जैसे असाधारण योद्धा और राष्ट्रनायक के बारे में सीमित विवरण मिलता है. इस संदर्भ में उन्होंने प्रताप गौरव केन्द्र की सराहना करते हुए कहा कि यह केन्द्र महाराणा प्रताप की गौरवगाथा को घर-घर, जन-जन और विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने का यशस्वी कार्य कर रहा है.
राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र के संभाजीनगर में महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा स्थापित की गई है, जो यह दर्शाता है कि प्रताप केवल राजस्थान के नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं.
उन्होंने वर्तमान संदर्भ में शिक्षा नीति की दिशा पर बल देते हुए कहा कि हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है जो भावी पीढ़ी को केवल नौकरीपेशा न बनाए, बल्कि उनमें देशप्रेम, आत्मगौरव और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना जागृत करे. नई पीढ़ी को इतिहास के महान चरित्रों से परिचित कराना और उनमें राष्ट्रीय चेतना का संचार करना अत्यंत आवश्यक है.
राज्यपाल महोदय ने भारत-पाक सीमा पर बसे ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए कहा कि युद्ध के समय जब गोलियां चल रही होती हैं, तब वे ग्रामीण भारत माता के जयकारे लगाकर हमारे वीर जवानों का उत्साह बढ़ाते हैं. यह असली भारत है, जो न केवल वीरता दिखाता है, बल्कि देश की आत्मा की रक्षा भी करता है.
“महाराणा प्रताप विचार की अखंड धरोहर हैं” — प्रफुल्ल केतकर
प्रसिद्ध विचारक एवं ‘ऑर्गेनाइज़र’ पत्रिका के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्वयं मेवाड़ की धरती को प्रेरणा का स्रोत मानते थे. उन्होंने हाल ही के पहलगाम आतंकी हमले की चर्चा करते हुए कहा कि जब देश पर हमला होता है, तो लोग सबूत मांगते हैं, ऐसे में यह कल्पना की जा सकती है कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों के संदर्भ में भी समय-समय पर भ्रांतियां फैलाई गई होंगी.
केतकर ने कहा कि मेवाड़ का संघर्ष केवल सीमाओं की रक्षा भर नहीं था, वह संपूर्ण स्वराज्य की चेतना का प्रारंभिक स्वर था. महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई उपासना पद्धति का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का संघर्ष थी—एक ओर साम्राज्यवादी विस्तारवाद, और दूसरी ओर राष्ट्रभक्ति एवं स्वतंत्रता की भावना.
उन्होंने प्रताप के सुशासन को आज के संदर्भ में व्याख्यायित करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि यदि 16वीं शताब्दी में मेवाड़ ने यह संग्राम न लड़ा होता, तो 1857 या 1947 की लड़ाई की चेतना शायद जन्म ही नहीं ले पाती.
‘माई एड़ा पूत जन जेड़ा राणा प्रताप’ का उदाहरण देते हुए केतकर ने माताओं से आह्वान किया कि वे ऐसे तेजस्वी राष्ट्रनायकों की प्रेरणा से भावी पीढ़ी को संस्कारित करें.
इतिहास के सच्चे स्वरूप को सामने लाएं – राठौड़
राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जीवनगाथा केवल इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति, त्याग और आत्मसम्मान की अमर प्रेरणा है. आज दुर्भाग्य से हमारे गौरवशाली इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, जिससे नई पीढ़ी अपने मूल से दूर होती जा रही है. इस स्थिति में हमें सतर्क होकर राष्ट्र चेतना जगानी होगी. संघ परिवार द्वारा नई पीढ़ी को संस्कारवान और राष्ट्रभक्त बनाने के जो प्रयास हो रहे हैं, वे निःसंदेह प्रशंसनीय हैं. हमें अपने इतिहास के सच्चे स्वरूप को सामने लाना है और प्रताप जैसे महापुरुषों से प्रेरणा लेकर समाज में जागरूकता का प्रकाश फैलाना है.
महाराणा प्रताप जयंती पोस्टर का विमोचन
-आरंभ में मुख्य अतिथि राज्यपाल बागड़े, विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, मुख्य वक्ता ऑर्गेनाइजर के प्रधान सम्पादक प्रफुल्ल केतकर, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, महाराणा प्रताप जयंती समारोह समिति के संयोजक सीए महावीर चपलोत आदि ने महाराणा प्रताप जयंती के पोस्टर का विमोचन किया. प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने महाराणा प्रताप जयंती के दो चरणों में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की. अध्यक्ष प्रो. शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम द्वारा लिखित गीत की प्रस्तुति दी गई व विमोचन किया गया. डिम्पी सुहालका ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न कार्यक्रम में संयोजक महावीर चपलोत ने सभी का आभार व्यक्त किया. संचालन सहसंयोजक प्रो. अनिल कोठारी ने किया. प्रताप गौरव केन्द्र पहुंचने पर राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों ने गौरव केन्द्र का अवलोकन भी किया.
आज दुग्धाभिषेक व कवि सम्मेलन
-जयंती समारोह सह संयोजक प्रो. अनिल कोठारी ने बताया कि महाराणा प्रताप जयंती पर 29 मई को प्रात: 7 बजे केन्द्र में स्थापित 57 फीट की महाराणा प्रताप की बैठक प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ प्राइड’ का दुग्धाभिषेक किया जाएगा. इसमें राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. वासुदेव देवनानी, राज्य के सहकारिता मंत्री गौतम दक आदि उपस्थित रहेंगे. सायंकाल 7 बजे राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं से परिपूर्ण ओजस्वी कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इसमें मेवाड़ के कवि प्रकाश नागोरी (उदयपुर), राव अजातशत्रु (उदयपुर), सतीश आचार्य (राजसंमद), गोपाल शर्मा (केलवाड़ा), आशा पाण्डे ओझा (उदयपुर), सिद्धार्थ देवल (उदयपुर), नन्दकिशोर अखिलेश (बड़ी सादड़ी), मनोज गुर्जर (मावली), पुरषोत्तम शाकद्वीपी (उदयपुर), दीपशिखा रावल (नीमच), अंशुमान आजाद (निम्बाहेड़ा), हिम्मत सिंह उज्ज्वल (मावली), गौरव गोलछा (उदयपुर) रचनापाठ करेंगे.
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/ सुनीता
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