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अब उबाऊ नहीं, मजेदार होगी पढ़ाई, आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगेंगे बाल मैत्रिक फर्नीचर

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– रंग-बिरंगे फर्नीचर पर मुस्कुराएगा बचपन, शिक्षा का पहला पायदान बनेगा मिशाल मीरजापुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । अब आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को न केवल अक्षर ज्ञान मिलेगा, बल्कि वे रंग-बिरंगे बाल मैत्रिक फर्नीचर पर बैठकर सीखने का आनंद भी उठाएंगे। जिले के 455 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों वाले प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में जल्द ही बच्चों के लिए बाल मैत्री फर्नीचर की व्यवस्था हो रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित, सुंदर और प्रेरणादायक शैक्षिक वातावरण देना है। अब मीरजापुर के आंगनबाड़ी केंद्र सिर्फ पोषण नहीं, शिक्षा में भी मिशाल बनेंगे। बचपन अब रंग-बिरंगे फर्नीचर पर मुस्कुराएगा और शिक्षा का पहला पायदान और भी मजबूत बनेगा। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा का कहना है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए अनुकूल माहौल जरूरी है। बाल मैत्रिक फर्नीचर से पढ़ाई उनके लिए आसान, मजेदार और सुरक्षित होगी।

स्कूल जैसा नहीं, अब लगेगा घर जैसा माहौल महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के निर्देश पर यह पहल की जा रही है, जिससे पूर्व प्राथमिक शिक्षा को बाल केंद्रित और आकर्षक बनाया जा सके। अब बच्चों को उबाऊ, पुराने फर्नीचर पर नहीं बैठना पड़ेगा। इसके बजाय वे नीली, पीली, लाल टेबल-कुर्सियों पर पढ़ाई करेंगे, जो उनके कद और सुविधा के अनुसार होंगी।

455 केंद्रों से शुरू, 1828 स्कूलों तक फैलेगा असर जिले में कुल 1828 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें 1221 प्राथमिक, 208 उच्च प्राथमिक, 399 कंपोजिट विद्यालय हैं। इनमें करीब 2 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। फर्नीचर की खरीद की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो गई है। पहले चरण में यह बदलाव को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में देखने को मिलेगा, फिर धीरे-धीरे पूरे जिले में।

क्यों खास है यह पहल? – सीखने की ललक बढ़ेगी। जब माहौल अनुकूल होगा तो बच्चा अधिक सीखना चाहेगा। – उपस्थिति में सुधार होगा। रंग-बिरंगी कक्षाएं बच्चों को स्कूल खींच लाएंगी। – सुरक्षा और सुविधा होगी। बाल मैत्रिक फर्नीचर बच्चों के अनुकूल होता है, चोट लगने की संभावना कम रहती है। – शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। एक अच्छा भौतिक माहौल बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करता है।

क्या होगा अगला कदम? – सभी केंद्रों पर बाल मैत्रिक फर्नीचर की आपूर्ति होगी। – कक्षा की दीवारों को भी बाल-अनुकूल चित्रों और रंगों से सजाया जाएगा। – शिक्षक भी पूर्व प्राथमिक बच्चों के लिए प्रशिक्षण लेंगे।

(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा

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