– मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने छह दिवसीय हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह का किया शुभारंभ
भोपाल, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वास्तव में नाटक कला अनूठी है। यह कला भारतीय नायकों के गौरवशाली इतिहास से युवाओं को परिचित कराने का सशक्त माध्यम है। नाटकों के माध्यम से भारतीय इतिहास के गौरवशाली व्यक्तित्वों की जानकारी वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरुवार शाम को भोपाल के रवीन्द्र भवन में संस्कृति विभाग की संस्था मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित छह दिवसीय हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ कर कार्यक्रम को संबोधित कर रह थे। इस अवसर पर पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा आयोग, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमरिया, पूर्व राज्यसभा सदस्य रघुनंदन शर्मा, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी, फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य वाणी त्रिपाठी और अन्य अतिथि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह संयोग है कि वे हरिहर की नगरी से आते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की चौदह विद्याओं और चौसठ कलाओं में नाट्य शास्त्र के सभी आयाम शामिल हैं। उज्जैन ऐसी नगरी है, जहां भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा हुई, साथ ही महाकाल की नगरी होने का आशीर्वाद भी इसे मिला है।
उन्होंने कहा कि उज्जैन में श्रावण माह, कार्तिक माह और अन्य अवसरों पर होने वाले आयोजन अनूठे होते हैं। हमारे इतिहास में जहां राष्ट्र के दुर्बल होने के निराशाजनक उदाहरण देखने को मिलते हैं, वहीं हमारे समर्थ होने के भी प्रमाण मिलते हैं। विदेशी आक्रांताओं ने आराध्य स्थलों को नष्ट करने और प्रतिमाएं अन्य देशों में ले जाने का कृत्य किया, लेकिन यह भी सत्य है कि हमारे पराक्रमी और राष्ट्रप्रेमी शासकों ने उन प्रतीकों को पुन: स्वदेश लाने का कार्य भी किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वे स्वयं विद्यालयीन और महाविद्यालयीन स्तर से नाटकों के मंचन से जुड़े रहे हैं। उन्हें अनेक वर्ष पूर्व महानाट्य जाणताराजा देखने का सौभाग्य मिला, जो शिवाजी महाराज के साहसिक जीवन पर केन्द्रित था। बाद में इस तर्ज पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन को मंच पर लाने में सफलता मिली। मुख्यमंत्री ने सम्राट विक्रमादित्य के जीवन के विविध पक्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि शिवाजी महाराज की तरह सम्राट विक्रमादित्य सुशासन और शौर्य के प्रतीक थे। उनके राज्य का काफी विस्तार हुआ। उन्होंने अपने भूभाग के समस्त नागरिकों का ऋण समाप्त करने का ऐतिहासिक कार्य किया और विक्रम संवत् के प्रर्वतन की दिशा में आगे बढ़े।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संस्कृति विभाग को छह दिवसीय नाट्य समारोह के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने वीर भारत न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘लोक में मणिधर-बघेश्वर’ और नाट्य समारोह की स्मारिका का विमोचन किया।
प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह में प्रस्तुत होने वाले नाटकों और भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत होने वाले शोध पत्रों की जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत संचालक संस्कृति एन.पी. नामदेव ने किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी सहित विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) तोमर
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