गोपेश्वर, 28 जून (Udaipur Kiran) । चमोली जिले के देवाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम ल्वाणी निवासी मोहन सिंह बिष्ट ने कठिन हालातों के बावजूद हार नहीं मानी और मत्स्य पालन को स्वरोजगार का मजबूत साधन बनाकर आज न केवल स्वयं आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि दर्जनों अन्य ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
मोहन बिष्ट के बाल्यावस्था में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। इससे पारिवारिक जिम्मेदारियां उनके उपर आ गई। जीवन चलाने के लिए उन्हें दिल्ली और हरिद्वार में काम करना पड़ा, लेकिन आत्मनिर्भर बनने की ललक उन्हें वापस अपने गांव खींच लाई। यहीं से शुरू हुआ उनका मछली पालन का सफर। जिसे सरकारी योजनाओं ने एक नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत तालाब निर्माण एवं ट्राउट मछली पालन का कार्य शुरू किया। मत्स्य विभाग से तकनीकी सहयोग, बीज, चारा, प्रशिक्षण और सब्सिडी के रूप में उन्हें निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बिष्ट ने न केवल स्वयं प्रशिक्षण लिया बल्कि महिलाओं और युवाओं को भी इससे जोड़ने का कार्य किया।
उनके मार्गदर्शन में गांव के दर्जनों परिवार मत्स्य पालन कर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। ल्वाणी गांव में ट्राउट हैचरी यूनिट स्थापित की गयीं हैं। यहां से उच्च गुणवत्ता की मछलियों की आपूर्ति जनपद के साथ-साथ अन्य जिलों में भी की जा रही है। उनके प्रयासों से ल्वाणी गांव अब मत्स्य पालन के क्षेत्र में मॉडल बनकर उभर रहा है।
पर्यटन स्थलों से निकटता और मोटर मार्ग से जुड़े होने के कारण बाजार तक पहुंच आसान हुई है, जिससे लोगों को अतिरिक्त वार्षिक आय की संभावना भी बनी है। बिष्ट को मत्स्य विभाग की ओर से सम्मानित किया जा चुका है और उनकी मत्स्य समिति को भी विभागीय योजनाओं से विशेष मान्यता मिली है।
मोहन बिष्ट ने ग्रामीण युवाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर जागरूक किया। उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर कोई भी व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों को छू सकता है।
(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल
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