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प्राचार्य पदोन्नति मामला: में तीसरे दिन आज शासन पक्ष रखेगा जवाब

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बिलासपुर , 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग के 2,813 पदोन्नत प्राचार्यों को पोस्टिंग मिलने में हो रही देरी के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई लगातार जारी है। मंगलवार को सिंगल बेंच में दूसरे दिन याचिकाकर्ता की ओर से बहस पूरी की गई। अब आज बुधवार को शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। प्रकरण की सुनवाई छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ में हो रही है। याचिकाकर्ता नारायण प्रसाद तिवारी की ओर से दाखिल याचिका पर बहस करते हुए उनके अधिवक्ता ने पदोन्नति आदेश में प्रक्रियागत त्रुटियों की बात रखी। वहीं, शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने पहले ही अदालत को यह जानकारी दी है कि इस प्रकृति के सभी प्रकरणों में डबल बेंच ने पहले ही निर्णय दे दिया है और स्टे हटा दिया गया है।

इस मामले में डबल बेंच जिसमें न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति अमितेंद्र कुमार प्रसाद शामिल थे, उन्होंने लंबी सुनवाई के बाद 17 जून को फैसला सुरक्षित रखते हुए पदोन्नति सूची पर लगी रोक को हटाया था। अदालत ने सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए शासन के पक्ष को सही ठहराया और नियम 15 की व्याख्या के निर्देश दिए थे।

मंगलवार को याचिकाकर्ता की ओर से विस्तृत बहस की गई, जिस पर न्यायालय ने शासन को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। यह इस मामले की तीसरी लगातार सुनवाई आज होगी। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने सचिव स्कूल शिक्षा विभाग और संचालक लोक शिक्षण से मुलाकात कर मामले की गंभीरता से अवगत कराया है। संगठन की ओर से मनोज सनाढ्य, मुकेश पांडेय, रामगोपाल साहू, राजेश शर्मा, चिंताराम कश्यप, चंद्रशेखर गुप्ता, तोषण गुप्ता, अनामिका तिवारी और मोहन तिवारी भी न्यायालय में लगातार सक्रिय हैं।

बता दें स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, लेकिन 1 मई को हाई कोर्ट द्वारा स्टे दे दिया गया था। इसके कारण 2813 प्राचार्य अब तक अपनी पदस्थापना की प्रतीक्षा कर रहे हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है और अधिकांश स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं, जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। नए सत्र में स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हो सकें, इसके लिए प्राचार्यों की शीघ्र नियुक्ति आवश्यक मानी जा रही है। ऐसे में बुधवार को होने वाली सुनवाई में इस बहुप्रतीक्षित मामले पर कोई अहम फैसला आने की संभावना जताई जा रही है।

(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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