सीतामढ़ी, 06 मई . बिहार में सीतामढ़ी जिले के सीता प्राकट्य भूमि पुनौराधाम में मंगलवार को जगद्गुरु श्री राम भद्राचार्य जी महाराज ने श्री राम कथा के नौवें दिन कहा कि माता सीता प्राकट्य भूमि पुनौराधाम ही है. इस पावन अवसर पर उन्होंने कहा कि माता सीता प्रथम आचार्या हैं, आदिशक्ति हैं. माता सीता बाल्मीकि रामायण में स्वयं प्रकटीकरण की बात कहती हैं. सीता-राम दोनों पूरक हैं. सोलह कलाओं से पूर्ण हैं. मिथिला में बेटी बनकर सीता और बेटा बनकर राम आते हैं. परम ब्रह्म हैं दोनों. कोई अंतर नहीं, दोनों एक हैं.
राम भद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, दिन सोमवार को हलेष्टि यज्ञ हुआ और वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार के मध्य बारह बजे दिन में सीता धरती से प्रकट हुईं. सोलह वर्ष की उम्र में सोने के सिंहासन पर विराजित अष्ट सखी संग पीली साड़ी में सीता प्राकट्य हुईं थीं.
गुरुदेव ने इस मौके पर दो भजन गाकर भक्तों और श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया . धन्य-धन्य पुनौराधाम हो जहां सीता जी प्रकटे…..और सिया जी भेलई प्रकटवा गगन सुर बरसे सुमनवा…. वहीं, कथा के दौरान मिथिलेश कुमार, रघुवीर जी, संतोष झा ने वाद्य यंत्र बजाकर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया.
मंगलवार को नौवें दिन कथा का समापन हुआ. गुरुदेव को विदाई दी गई.
इससे पहले दिन में माता सीता प्राकट्य भूमि पुनौराधाम के सीताकुंड पर माता सीता का भव्य रूप से प्राकट्य उत्सव मनाया गया. महंत कौशल किशोर दास जी, जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर श्री राम भद्राचार्य जी महाराज ने आरती बधाई गाकर जनोत्सव मनाया.
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/ गोविंद चौधरी
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