जयपुर, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । पारिवारिक न्यायालय ने पति को एसी कमरे में साथ नहीं सोने, दूसरी महिला से संबंध होने का चरित्र पर लांछन लगाने व हरामखोर जैसे संबोधन बोलने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में माना। इसके साथ ही कोर्ट ने 63 वर्षीय पूर्व आरएएस पति की 43 साल पुरानी शादी को समाप्त करने का प्रार्थना पत्र को मंजूर कर लिया। अदालत में यह मामला चार साल पहले कोर्ट में आया।
प्रशासनिक सेवा में रहे पति ने प्रार्थना पत्र में कोर्ट को बताया कि 1982 में शादी हुई और पत्नी ने ससुराल आते ही छोटा घर होने व नौकर-गाड़ी नहीं होने पर घटिया मानसिकता का आदमी कहना शुरू कर दिया। गृह क्लेश के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किया, जो दोनों पक्षों में सुलह के बाद वापस ले लिया। प्रार्थना पत्र में पत्नी पर यह भी आरोप लगाया कि वह एसी कमरे में साथ नहीं सोने देती, चरित्र पर लांछन लगाती है। हंगामा कर, अपशब्दों से संबोधित करती है। पति ने पत्नी पर उम्र छिपाने का भी आरोप लगाया। जवाब में पत्नी ने कहा कि कभी न ताने मारे और न स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहे। कभी लड़ाई-झगड़ा और गाली-गलौच नहीं की। यह भी आरोप लगाया कि पति सेवानिवृत्त हो गया और विलासिता का जीवन जीना चाहता है। पति की ओर से लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए तलाक के लिए पेश प्रार्थना पत्र को खारिज करने का आग्रह किया। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर पति की ओर से लगाए गए आरोपों को मानसिक क्रूरता मानते हुए तलाक मंजूर कर लिया।
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(Udaipur Kiran)
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