मुंबई, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को नासिक में कहा कि अत्याधुनिक तेजस एमके1ए की सफल उड़ान रक्षा के क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक ज्वलंत प्रतीक है. उन्होंने कहा कि यह भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है.
रक्षामंत्री राजनाथ शुक्रवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नासिक स्थित संयंत्र में एचएएल तेजस एमके1ए हल्के लड़ाकू विमान की तीसरी उत्पादन लाइन और एचएएल एचटीटी-40 प्रशिक्षण विमान की दूसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत अपने लगभग 70 फीसदी महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों का आयात करता था. उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में, यह निर्भरता काफी कम हो गई है और अब 65 फीसदी आवश्यक उपकरण घरेलू स्तर पर निर्मित होते हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा, जब हम सत्ता में आए, तो हमें सीमित रक्षा तैयारियों, आयात पर उच्च निर्भरता और निजी क्षेत्र की न्यूनतम भागीदारी का सामना करना पड़ा. आज, हम घर पर ही वही बना रहे हैं जो हम कभी आयात करते उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार का लक्ष्य भारत को रक्षा उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां वार्षिक रक्षा उत्पादन 2014-15 में 46,429 करोड़ रुपये से बढक़र 2024-25 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि रक्षा निर्यात एक दशक पहले 1,000 करोड़ रुपये से बढक़र 25,000 करोड़ रुपये हो गया है. सरकार ने अब 2029 तक रक्षा विनिर्माण में 3 लाख करोड़ रुपये और निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है. युद्ध के बदलते स्वरूप की ओर इशारा करते हुए सिंह ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर युद्ध, ड्रोन प्रणालियों और अगली पीढ़ी के विमानों जैसे क्षेत्रों में आगे रहने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने एचएएल से तेजस और एचटीटी-40 से आगे अपनी तकनीकी उपस्थिति का विस्तार करने और उन्नत विमानन और मानवरहित प्रणालियों में खुद को एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने का आह्वान किया.
रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में एचएएल के योगदान की सराहना की और इसे रक्षा क्षेत्र की रीढ़ बताया. राजनाथ सिंह ने नासिक डिवीजन की छह दशकों से अधिक की विरासत की भी प्रशंसा की, जिसके दौरान इसने मिकोयान-गुरेविच मिग-21 और मिकोयान मिग-27 जैसे विमानों का निर्माण और ओवरहालिंग की है तथा सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के लिए एक प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित हुआ है.
सचिव(रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार ने कहा कि दो नई उत्पादन लाइनों का उद्घाटन भारत के बढ़ते तकनीकी आत्मविश्वास एवं रणनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है. उन्होंने तेजस एमके1ए को भारत के डिजाइन और विनिर्माण उत्कृष्टता का एक बयान बताया, जिसे एचएएल, वैमानिकी विकास एजेंसी, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और Indian वायु सेना के बीच सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है.
एचएएल के सीएमडी डीके सुनील ने नई उत्पादन लाइनों के चालू होने को एचएएल की बढ़ती क्षमता का प्रमाण बताया. इस परियोजना से लगभग 1,000 नौकरियां पैदा होने और नासिक और उसके आसपास के 40 से अधिक उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ साझेदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
तेजस एमके1ए की पहली उड़ान का संचालन एचएएल के मुख्य परीक्षण पायलट (फिक्स्ड विंग) केके वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) ने किया, जिसके बाद सुखोई-30एमकेआई और एचटीटी-40 विमानों ने हवाई प्रदर्शन किया और तेजस को औपचारिक जल तोप की सलामी दी गई. नई तेजस एमके1ए उत्पादन लाइन केवल दो वर्षों में चालू हो गई एवं यह सालाना आठ विमानों का निर्माण कर सकती है, जिससे एचएएल की कुल क्षमता बढक़र 24 तेजस जेट प्रति वर्ष हो जाएगी. इस बीच दूसरी एचटीटी-40 उत्पादन लाइन धड़, पंखों और नियंत्रण सतहों सहित प्रमुख घटकों के संयोजन में सहायता करेगी. 1964 में स्थापित, एचएएल नासिक ने 900 से अधिक विमानों का उत्पादन किया एवं 1,900 का ओवरहाल किया है, जिससे यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण एयरोस्पेस सुविधाओं में से एक बन गई है.
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(Udaipur Kiran) यादव
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