-अवमानना कार्रवाई से बचने को आदेश की चुनौती में देरी माफी की ठोस वजह नहीं
प्रयागराज, 07 अप्रैल . इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना वजह बताये 4821 दिन के बाद राज्य सरकार द्वारा दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा अपील दाखिल करने में देरी क्यों हुई, अर्जी में चुप्पी साधे रखा गया.
कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन न करने पर शुरू अवमानना कार्यवाही से बचने के लिए अपील दाखिल की गई है. दाखिल करने में देरी का संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. अवमानना से बचने को अपील दाखिल करने में देरी करना कोई ठोस आधार नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने अपील दाखिल करने में देरी माफी अर्जी सहित विशेष अपील खारिज कर दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने उप्र राज्य बनाम सतीस चंद्र गुप्ता, अरुण कुमार गुप्ता व अन्य की विशेष अपील पर दिया है. दोनों अपीलें एकल पीठ के 5 दिसम्बर 11 को पारित आदेश की चुनौती में 2024-25 मे दाखिल की गई थी. एकल पीठ ने 28 नवम्बर 2006 व 10 नवम्बर 2006 को पारित विभागीय आदेश रद्द कर दिया था और विपक्षियों को याचियों को नियुक्ति तिथि से वेतन भुगतान का निर्देश दिया था. जिसका पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका दायर की गई. जिसमें अधिकारियों के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित किया गया तो वर्षों की देरी से एकलपीठ के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी. देरी क्यों की, कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया.
याची विपक्षियों के अधिवक्ता का कहना था कि चार में से दो विपक्षी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, किन्तु उन्हें वेतन देने के आदेश का पालन नहीं किया गया. कहा देरी माफी की ठोस वजह होनी चाहिए. इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया है. केवल अवमानना से बचने के लिए अपील दायर की गई है.
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/ रामानंद पांडे
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