पक्षियों के झुंड बनाना, मछलियों का समूह में तैरना, या मनुष्यों का बिना किसी नेता के अपने आंदोलनों को समन्वित करना—यह सदियों पुराना सवाल वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है। अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी के शोधकर्ताओं ने इस जटिल व्यवहार के पीछे की व्याख्या पेश की है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि समूह व्यवहार का रहस्य क्वांटम प्रेरित दृष्टिकोण में हो सकता है। इस अध्ययन का नेतृत्व IIT मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा, डॉ. ज्योतिरंजन बेउरिया और मयंक चौरासिया ने किया।
शोध में पाया गया कि समूहों में समन्वय की प्रक्रिया केवल पारंपरिक कारणों—जैसे नेतृत्व या व्यक्तिगत निर्णय—से नहीं होती, बल्कि इसमें सामूहिक और त्वरित सूचना आदान-प्रदान के ऐसे पैटर्न शामिल होते हैं, जो क्वांटम सिद्धांतों के समानांतर काम करते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे बिना किसी स्पष्ट नेता के भी समूह अपने आंदोलनों को अत्यंत सुचारू ढंग से संचालित कर पाते हैं।
प्रो. बेहरा ने बताया कि यह खोज न केवल प्राकृतिक जीवों के व्यवहार को समझने में मदद करेगी, बल्कि इससे स्मार्ट रोबोटिक्स, स्वचालित ड्रोन फ़्लिट्स और कलेक्टिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी नए समाधान विकसित किए जा सकते हैं।
शोध टीम का कहना है कि समूह व्यवहार का यह नया मॉडल भविष्य में विभिन्न इकोसिस्टम अध्ययन और तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए मार्गदर्शक साबित होगा। इससे वैज्ञानिकों को यह भी समझने में मदद मिलेगी कि प्राकृतिक और मानव निर्मित समूहों में निर्णय लेने की प्रक्रिया कैसे इतनी तेज़ और प्रभावशाली हो सकती है।
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