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सब बिखर गया, राजस्थान के 6 परिवारों के अंतहीन दर्द की कहानियां, जिसने भी सुनीं आंखें छलक आईं

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अहमदाबाद विमान हादसे में राजस्थान के छह परिवारों के 12 लोगों की जान चली गई। दर्द की इन कहानियों को जहां भी छूओ, जख्म रोने लगते हैं। 12 जून को लंदन जाने वाली फ्लाइट AI171 में इन परिवारों की सारी जिंदगी और सपने आग के गोले में दब गए और परिवार के सदस्यों के लिए जो दर्द रह गया, वह उन्हें जिंदगी भर सताता रहेगा।

बांसवाड़ा का पूरा परिवार चला गया, सिर्फ आखिरी सेल्फी बची

बांसवाड़ा के डॉ. प्रतीक जोशी और उनकी पत्नी डॉ. कौमी व्यास अपने तीन बच्चों के साथ लंदन शिफ्ट होने वाले थे। प्रतीक रेडियोलॉजिस्ट थे और पिछले 4 साल से लंदन में अकेले काम कर रहे थे। पत्नी कौमी उदयपुर में पैथोलॉजिस्ट थीं। इस बार जब बच्चों के पासपोर्ट बन गए, तो उन्होंने तय कर लिया कि अब पूरा परिवार साथ रहेगा। फ्लाइट में चढ़ने से पहले डॉ. प्रतीक ने परिवार के साथ सेल्फी ली। यह सेल्फी उनकी आखिरी सेल्फी बन गई।

बस आखिरी सेल्फी बची है खुशबू राजपुरोहित (23) की शादी जनवरी में हुई थी। उनके पति लंदन में नर्सिंग ऑफिसर हैं। खुशबू पहली बार लंदन जा रही थीं। 10 जून को टिकट नहीं मिलने पर 12 जून को जाने का फैसला किया। पिता मदन सिंह ने बेटी को एयरपोर्ट पर छोड़ा, उसके साथ सेल्फी ली और वीडियो बनाया। फ्लाइट के उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही हादसे की खबर आ गई। बेटी का आखिरी वीडियो अब उनके साथ आखिरी याद बन गया है। पहली विदाई ही आखिरी साबित हुई उदयपुर के संजीव मोदी के बेटे शुभ मोदी और बेटी शगुन मोदी लंदन घूमने जा रहे थे। दोनों ने एमबीए किया था और पिता के साथ मार्बल का कारोबार कर रहे थे। अब सहेली नगर में उनके घर पर मातम पसरा है। अब वे कभी वापस नहीं लौटेंगे वरदीचंद मेनारिया (वल्लभनगर) और उनके दोस्त प्रकाश मेनारिया (रोहिड़ा, इनाताली के पास) लंदन में किचन स्टाफ के तौर पर काम करते थे। दोनों साथ में लंदन लौट रहे थे। वरदीचंद की पत्नी और बेटा उन्हें विदाई देने एयरपोर्ट आए थे। वे एक महीने की छुट्टी बिताकर लौट रहे थे।

मेहनतकश जिंदगी का दुखद अंत हो गया।

मेहनतकश जिंदगी का दुखद अंत हो गया। अभिनव परिहार श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक किशनराम नाई के पोते थे। वे लंदन में कारोबार करते थे। उन्होंने अहमदाबाद में नया ऑफिस खोला था। राजकोट में अपने चचेरे भाई से मिलने के बाद उनका मन बदल गया। अब वे अपनी पत्नी और बच्चे को साथ लाने वाले थे, ताकि भारत में बस सकें। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वह उड़ान उनकी आखिरी उड़ान साबित हुई।

डॉक्टर बनने का सपना रह गया अधूरा
उदयपुर के गोगुंदा की मूल निवासी पायल खटीक (22) गुजरात के हिम्मतनगर में अपने परिवार के साथ रहती थीं। वे एमबीबीएस की पढ़ाई करने लंदन जा रही थीं। उनका बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था। पायल खटीक को उनके पिता ने काफी संघर्ष के बाद लंदन भेजा था। उनके पिता लोडिंग टेम्पो चालक हैं। पायल अपने पिता के सपने को पूरा करने और अपने भविष्य की उड़ान भरने के लिए तैयार थीं। लेकिन वह उड़ान कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकी।

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