उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मेहंदीपुर बालाजी में 12 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए बालाजी मंदिर ट्रस्ट की ओर से बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। वहीं, मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है, लेकिन इसी बीच बालाजी मंदिर की आस्था को लेकर एक भ्रांति और अंधविश्वास सामने आया है। इस मामले में मीडिया ने स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं से बात की, जिस पर अलग-अलग तर्क सामने आए। आपको बता दें कि प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं में यह भ्रांति और अंधविश्वास है कि श्रद्धालु बालाजी मंदिर में चढ़ाए गए प्रसाद को अपने घर नहीं ले जा सकते।
जिसके चलते कई श्रद्धालु बालाजी मंदिर में चढ़ाए गए प्रसाद को मंदिर परिसर से बाहर कहीं भी फेंक देते हैं, लेकिन इस मामले में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से बात करने पर अलग-अलग बातें सामने आईं। बालाजी के पवित्र प्रसाद को आशीर्वाद समझकर घर ले जाना चाहिए : इस मामले में जब मीडिया ने स्थानीय प्रसाद व्यापारी रामदयाल गुर्जर से जानकारी के लिए बात की तो उन्होंने इसे भ्रांति व अंधविश्वास के चलते अफवाह बताया और कहा कि आस्थाधाम का प्रसाद बालाजी महाराज के आशीर्वाद रूपी पवित्र प्रसाद है। इसे भक्त घर ले जाकर अपने रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों व अन्य लोगों में बांट सकते हैं।
कुछ लोगों ने भक्तों के मन में भ्रांति व अंधविश्वास फैला रखा है कि भक्त बालाजी के प्रसाद को घर नहीं ले जा सकते, यह बिल्कुल गलत है। इसी तरह अन्य स्थानीय लोगों ने भी बालाजी के प्रसाद को घर ले जाने की बात कही। वहीं प्रेम सिंह ने कहा कि कुछ लोगों ने भक्तों में अंधविश्वास पैदा कर रखा है कि बालाजी के प्रसाद को घर ले जाने से परेशानी होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। भक्त बालाजी महाराज को चढ़ाया गया प्रसाद अपने घर ले जा सकते हैं। यहां कोई तंत्र-मंत्र अनुष्ठान नहीं किया जाता। यहां स्वयं बालाजी महाराज विराजमान हैं, जो अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके दुख दूर करते हैं। पहली बार पता चला कि बालाजी का प्रसाद परिवार के लोगों में बंटेगा: वहीं मंदिर ट्रस्ट की ओर से वितरित किए जा रहे महाप्रसाद को लेते हुए एक भक्त ने बताया कि पहले वह बालाजी आते समय यहां से प्रसाद अपने घर नहीं ले जाते थे। भक्तों में अंधविश्वास और भ्रांतियां फैली हुई थीं, लेकिन पहली बार पता चला है कि बालाजी का प्रसाद घर भी ले जाया जा सकता है। ऐसे में भक्त ने खुशी जताते हुए कहा कि अब हम बालाजी महाराज का प्रसाद घर भी ले जाएंगे और अपने सगे-संबंधियों को भी बालाजी का प्रसाद खिलाएंगे।
अर्जी के प्रसाद को लेकर भी है असमंजस: दरअसल प्रसिद्ध आस्थाधाम में स्वयंभू बालाजी महाराज के साथ भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार दंडाधिकारी के रूप में विराजमान हैं, जिसके चलते बालाजी में आने वाले भक्त अपनी हर समस्या के अंत के लिए अर्जी चढ़ाते हैं। ऐसे में कोरोना काल से पहले आस्थाधाम में तीनों देवताओं को भोग के रूप में चावल, उड़द और लड्डू का भोग लगाया जाता था, लेकिन कोरोना काल के बाद बालाजी महाराज, भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार को सवा किलो लड्डू का भोग लगाया जाता है. ऐसे में भोग लगाने के बाद श्रद्धालु प्रसाद को कहीं भी फेंक देते हैं. वहीं इस मामले में भी स्थानीय निवासियों ने बताया कि भोग का प्रसाद चढ़ाने के बाद उसमें से दो लड्डू निकालकर खाने के बाद बचा हुआ प्रसाद भी अपने घर ले जा सकते हैं.
बालाजी मंदिर ट्रस्ट ने दी जानकारी वहीं बालाजी मंदिर ट्रस्ट के महंत डॉक्टर नरेशपुरी महाराज ने बताया कि बालाजी महाराज की प्रसादी अमृत तुल्य प्रसाद है. कई बार लोगों द्वारा फैलाई गई भ्रांति और अंधविश्वास के कारण भक्त अनजाने में प्रसाद को कहीं भी फेंक देते हैं, जिससे प्रसाद का अपमान होता है. बालाजी महाराज को चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण करने मात्र से ही भक्तों के दुख दूर हो जाते हैं। ऐसे में अंधविश्वास और भ्रांतियों से दूर रहकर भक्तों को अपने आराध्य देव बालाजी महाराज को चढ़ाया गया प्रसाद घर ले जाना चाहिए। साथ ही अपने परिजनों को भी अमृततुल्य प्रसाद ग्रहण कराना चाहिए।
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