भारत समेत दुनिया के कई देशों में भगवान शिव के मंदिर हैं। इनमें से कई मंदिर ऊंचे पहाड़ों पर हैं। बर्फबारी का मौसम शुरू होने से ठीक पहले ऐसे मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहां है?
भारत, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस समेत दुनिया के कई देशों में भगवान शिव के भव्य मंदिर हैं। भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक भगवान शिव के कई भव्य और सुंदर मंदिर हैं। देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना कई हिंदू परिवारों के जीवन का एक प्रमुख लक्ष्य होता है। देश-विदेश में ऐसे कई शिव मंदिर हैं, जो ऊंचे पहाड़ों पर स्थित हैं। बर्फबारी का मौसम शुरू होने से ठीक पहले ऐसे मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहां है?
दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर महाभारत के वीर धनुर्धर अर्जुन और मर्यादा पुरुषोत्तम राम से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मौजूद है। भगवान शिव के इस मंदिर को भक्त तुंगनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं। तुंगनाथ मंदिर चंद्रनाथ पर्वत पर 3,680 मीटर यानी 12,073 फीट की ऊंचाई पर है। तुंगनाथ का शाब्दिक अर्थ है 'पहाड़ों का स्वामी'। तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले सोनप्रयाग जाना होगा। इसके बाद आप गुप्तकाशी, उखीमठ, चोपता होते हुए तुंगनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, तुंगनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था।
मंदिर की नींव पांडवों में तीसरे भाई अर्जुन ने रखी थी। ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था। दरअसल, महाभारत के युद्ध में पांडवों ने अपने भाइयों और गुरुओं की हत्या कर दी थी। इसलिए उन पर हत्या का पाप लगा था। ऋषि व्यास ने पांडवों से कहा कि अगर भगवान शिव उन्हें माफ कर दें तो वे सभी पापों से मुक्त हो जाएंगे। ऋषि व्यास के आदेश पर पांचों पांडव भगवान शिव की खोज में हिमालय पहुंचे। काफी प्रयास के बाद उन्हें बैल के रूप में भगवान शिव मिले। लेकिन, भगवान शिव ने पांडवों को दोषी मानते हुए उन्हें वापस कर दिया। इतना ही नहीं, भगवान शिव भूमिगत हो गए। बाद में, उनके शरीर के अंग पांच अलग-अलग स्थानों पर जमीन से ऊपर उठ गए। पांडवों ने उन सभी स्थानों पर शिव मंदिर बनवाए, जहां-जहां भगवान शिव के शरीर के अंग निकले थे। पांडवों द्वारा बनवाए गए इन पांच मंदिरों को आज 'पंच केदार' कहा जाता है।
पांडवों द्वारा बनवाए गए प्रत्येक मंदिर की पहचान भगवान शिव के शरीर के किसी अंग से होती है। 'पंच केदार' में तुंगनाथ तीसरा मंदिर है। इसीलिए इसकी नींव पांडवों में अर्जुन ने रखी थी। कहा जाता है कि तुंगनाथ मंदिर के स्थान पर भगवान शिव के हाथ मिले थे। मंदिर का नाम भी इसी आधार पर रखा गया। आपको बता दें कि तुंगनाथ मंदिर के अलावा पंच केदार में केदारनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर मंदिर भी हैं। भगवान का कूबड़ केदारनाथ में, सिर रुद्रनाथ में, जटा कल्पेश्वर में और नाभि मध्यमहेश्वर में प्रकट हुई। पौराणिक कथाओं के अनुसार तुंगनाथ का संबंध भगवान राम से भी है। कहा जाता है कि भगवान राम ने तुंगनाथ से डेढ़ किमी दूर चंद्रशिला पर तपस्या की थी। मान्यता के अनुसार रावण का वध करने के बाद श्रीराम पर ब्रह्महत्या का पाप लगा था। इस पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने चंद्रशिला की पहाड़ी पर तपस्या की थी। चंद्रशिला की चोटी 14,000 फीट की ऊंचाई पर है। आपको बता दें कि सर्दियों में तुंगनाथ मंदिर का क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है। इसलिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है। देवता की मूर्ति और पुजारियों को मुक्कूमठ ले जाया जाता है। आपको बता दें कि मंदिर थोड़ा झुक गया है।
You may also like
बटलर, बेथेल और जैक्स के सामने खड़ी हुई दुविधा
कार में म्यूजिक बजाकर 3 घंटे तक जबरदस्ती, शरीर पर चोट के 12 निशान! डरा देगी वेलकम गर्ल केस की इनसाइड स्टोरी
रसेल ब्रांड ने अपने अतीत के नशे की आदतों के बारे में खोला राज़
अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार में बड़ी गिरावट और 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान ही नहीं चीन को भी झटका
दैनिक राशिफल 13 मई : माँ लक्ष्मी की जमकर बरसेगी कृपा, आने वाले 21 दिनों में बनने लगेंगे सभी बिगड़े काम