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पर्दे के पीछे बातचीत और अमेरिका की भूमिका, भारत-पाकिस्तान के बीच कैसे रुका संघर्ष?

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कहा जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में अमेरिका ने मध्यस्थता की थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस मामले में भारत का रुख साफ है और यह स्पष्ट है कि अमेरिका की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक पहली बार विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो के बीच 1 मई को बात हुई थी। उस दौरान अमेरिका को बताया गया था कि भारत का इरादा पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करने का है।

भारत ने अपने संदेश में साफ कहा था कि भारत को किसी की मदद की जरूरत नहीं है। अमेरिका के साथ संपर्क केवल भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में लाभ दिलाने के उद्देश्य से बनाए रखा गया था, जहां अमेरिका ने पूर्व-आक्रमण पर बयान जारी करने का समर्थन किया था।

पहले मुनीर से बात की, फिर रुबियो ने जयशंकर को फोन किया

जब भारत ने 10 मई को पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेस पर हमला किया तो अगले दिन अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से बात की और उसके बाद दोबारा जयशंकर से संपर्क किया। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह कॉल किसी सुलह या 'ऑफ-रैम्प' के संदर्भ में नहीं थी।

मार्को रुबियो ने पूछा था कि क्या पाकिस्तान गोलीबारी बंद करने को तैयार है और क्या भारत इसके लिए सहमत होगा। जवाब में भारत ने कहा कि अगर वे हमला नहीं करेंगे तो हम भी हमला नहीं करेंगे।

डोनाल्ड ट्रम्प ने 'युद्धविराम' की घोषणा की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और अमेरिका के बीच 'युद्धविराम' के लिए मध्यस्थता की बात कही थी। उन्होंने अपने सोशल पोस्ट में कहा था कि भारत-पाकिस्तान अमेरिकी मध्यस्थता के कारण तनाव कम करने को तैयार हैं। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं की भी सराहना की।

पाकिस्तान के खिलाफ भारत का अगला कदम!

ताजा जानकारी के अनुसार भारत पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के संबंध दर्शाने वाले नए सबूतों के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने जा रहा है। यूएनएससीआर 1267 संधि समिति की बैठक अगले सप्ताह होने वाली है, जहां भारत विशेष रूप से इस मुद्दे को उठाएगा।

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