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वीडियो में करे अरावली की ऊंची पहाड़ियों पर बसे कुम्भलगढ़ किले का वर्चुअल सफर, जहां हर पत्थर में बसी है शौर्यगाथा और इतिहास की गूंज

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राजस्थान की धरती पर कदम रखते ही जिस गर्जना की गूंज सुनाई देती है, वह केवल वीरता की नहीं बल्कि उस गौरवशाली इतिहास की भी होती है, जो सदियों से यहां की हवाओं में बसी है। इन्हीं ऐतिहासिक स्मृतियों का एक जीवंत प्रतीक है – कुम्भलगढ़ किला।अरावली की ऊंची-नीची पहाड़ियों में 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह किला न केवल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह महाराणा प्रताप की जन्मस्थली होने के कारण भी ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।


एक नजर में कुम्भलगढ़ किला
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ किले का निर्माण राणा कुम्भा ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। इसे बनाने में लगभग 15 वर्ष लगे, और यह 1458 में पूर्ण रूप से तैयार हुआ। किले की सबसे खास बात है इसकी 36 किलोमीटर लंबी दीवार, जो दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है (पहली चीन की ग्रेट वॉल है)। इसीलिए इसे अक्सर "भारत की ग्रेट वॉल" भी कहा जाता है।

घने जंगलों की छांव में बसा दुर्ग
कुम्भलगढ़ किला सिर्फ एक वास्तुकला की मिसाल नहीं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और सुरक्षा की उत्कृष्ट योजना का भी परिचायक है। यह किला घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसके चारों ओर फैले कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघ, तेंदुए, भालू और कई दुर्लभ प्रजातियों के पशु-पक्षी निवास करते हैं। यही कारण है कि यह दुर्ग आक्रमणकारियों के लिए एक पहेली बना रहा।इस दुर्ग की स्थिति कुछ ऐसी है कि जब आप इसके ऊपर खड़े होकर चारों ओर नज़र दौड़ाते हैं, तो आपको हर दिशा में हरियाली और पहाड़ ही दिखाई देते हैं। और ऐसे में लगता है मानो इतिहास अभी भी इन चट्टानों में दबी सांसें ले रहा हो।

राणा कुम्भा की कला और सुरक्षा की रणनीति
राणा कुम्भा न केवल एक वीर राजा थे, बल्कि वे एक विद्वान, वास्तुशिल्प प्रेमी और संरचनात्मक विशेषज्ञ भी थे। कुम्भलगढ़ किला इसका जीता-जागता उदाहरण है। दुर्ग की दीवारें इतनी चौड़ी हैं कि उन पर पांच घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। इस किले के भीतर 300 से अधिक मंदिर हैं – जिनमें हिंदू और जैन मंदिर दोनों शामिल हैं।किले की बनावट में रक्षा को प्राथमिकता दी गई है – एक के बाद एक कई द्वार, संकरे मार्ग, ऊँची दीवारें और गुप्त सुरंगें, सब कुछ शत्रु को भ्रमित करने और आक्रमण से बचाव के लिए रचा गया था।

महाराणा प्रताप की जन्मस्थली
महाराणा प्रताप, मेवाड़ के महान योद्धा और स्वतंत्रता के प्रतीक, का जन्म इसी किले में हुआ था। यही वो भूमि है जहाँ से प्रताप ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष का प्रण लिया था। यह किला न केवल उनका बाल्यकाल का साक्षी है, बल्कि मेवाड़ के आत्मसम्मान और गौरव का प्रतीक भी बना रहा है।

किले का सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व
यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किए गए "हिल फोर्ट्स ऑफ राजस्थान" में कुम्भलगढ़ किला भी शामिल है। यहां हर साल 'कुम्भलगढ़ फेस्टिवल' आयोजित होता है, जिसमें लोक कलाकार, शास्त्रीय नृत्यांगना और पारंपरिक संगीत के रंग बिखरते हैं। यह उत्सव किले की विरासत को जीवंत बना देता है।देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां आते हैं — इतिहास के पन्नों को प्रत्यक्ष देखने, वास्तुकला को समझने और प्राकृतिक शांति को महसूस करने। सूर्यास्त के समय किले से दिखने वाला दृश्य किसी चित्रकला से कम नहीं होता।

रहस्य और रोमांच का संगम
कुम्भलगढ़ किला अपने भीतर कई रहस्यमयी कथाएँ और किंवदंतियाँ भी समेटे हुए है। कहा जाता है कि इसका निर्माण प्रारंभ में कई बार विफल हुआ था, जिसके बाद एक साधु की सलाह पर एक मानव बलि दी गई, और तभी जाकर किले की नींव स्थिर हुई। आज भी वह बलिदान स्थल 'हनुमान पोल' के पास देखा जा सकता है।इसके अलावा किले की कुछ सुरंगें अब भी अनछुई हैं, जिनमें घुसना निषिद्ध है। इतिहास प्रेमियों और साहसिक पर्यटकों के लिए यह एक रोमांचकारी अनुभव साबित होता है।

वर्तमान में संरक्षण और जागरूकता
हालांकि सरकार और पुरातत्व विभाग ने कुम्भलगढ़ किले के संरक्षण के प्रयास किए हैं, लेकिन अभी भी पर्यटकों की अनियंत्रित भीड़ और मौसम के प्रभावों से इसे खतरा बना रहता है। जागरूकता और जिम्मेदार पर्यटन ही इसकी विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष
कुम्भलगढ़ किला सिर्फ पत्थरों से बना एक भवन नहीं है, यह एक जीता-जागता इतिहास है। यह वह भूमि है जहां से आत्मबल, स्वतंत्रता और शौर्य की परंपरा ने जन्म लिया। घने जंगलों, ऊँची पहाड़ियों और शांत वातावरण में बसा यह दुर्ग हमें बार-बार याद दिलाता है कि हमारा अतीत कितना महान, सुनियोजित और प्रेरणादायक रहा है।यदि आपने अभी तक कुम्भलगढ़ किले की यात्रा नहीं की है, तो अगली बार राजस्थान की योजना बनाते समय इसे जरूर शामिल करें। हो सकता है, वहां की हवाओं में आप भी इतिहास की कोई गूंज सुन पाएं — जो आज भी पत्थरों में सांस ले रही है।

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