वैज्ञानिकों को लगभग 14,000 वर्ष पहले आए एक भयानक सौर तूफान के साक्ष्य मिले हैं, जिसका प्रभाव पृथ्वी पर भी पड़ा था। यह तूफान इतना शक्तिशाली था कि इसका असर आज भी लकड़ी में मौजूद 'छल्लों' (ट्री रिंग्स) में देखा जा सकता है। यह अध्ययन जुलाई 2025 में अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स पत्रिका में प्रकाशित किया जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तूफान लगभग 12,350 ईसा पूर्व आया था और यह अब तक दर्ज किसी भी सौर तूफान से अधिक शक्तिशाली था। यदि आज ऐसा तूफान आए तो यह हमारी तकनीकी दुनिया (जैसे उपग्रह, इंटरनेट, पावर ग्रिड) को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। इसे 'मियाके इवेंट' कहा जाता है।
कैरिंगटन घटना से कहीं अधिक शक्तिशालीयह तूफान 1859 के कुख्यात 'कैरिंगटन इवेंट' से कहीं अधिक शक्तिशाली था, जिसे अब तक चरम सौर गतिविधि का मानक माना जाता था। ऐसे तूफानों का पता पेड़ों में पाए जाने वाले कार्बन-14 (Carbon-14) के स्तर से लगाया जाता है। कार्बन-14 एक प्रकार का रेडियोधर्मी तत्व है जो सूर्य से आने वाले खतरनाक कणों के पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने पर बनता है।
तूफान का असर पूरी दुनिया में फैला2012 में वैज्ञानिक फूसा मियाके ने पहली बार ऐसी घटना की खोज की थी। अब तक कम से कम छह मियाके घटनाओं की खोज की जा चुकी है, जिनमें 774 ई. और 993 ई. के तूफान शामिल हैं। लेकिन 12,350 ईसा पूर्व का यह तूफान सबसे अलग और सबसे भयंकर है। इस सौर तूफान के दौरान, फ्रांस में ड्रूज़ेट नदी के किनारे पाए जाने वाले स्कॉट्स पाइन वृक्षों में कार्बन-14 में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, तथा ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों में पाए जाने वाले बेरिलियम-10 के समान स्तरों से इसकी पुष्टि हुई, जिससे यह साबित हुआ कि तूफान का प्रभाव वैश्विक था।
वैज्ञानिकों ने रसायन विज्ञान-जलवायु मॉडल विकसित कियाइस खोज को समझना आसान नहीं था, क्योंकि यह तूफान हिमयुग के दौरान आया था, जब पृथ्वी का वातावरण और जलवायु आज के समय से बहुत भिन्न थी, जिसके दौरान अधिकांश अन्य मियाके घटनाएं घटित हुई थीं। इसलिए, फिनलैंड के ओउलू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सेनिया गोलुबेंको और इल्या उसोस्किन ने एक विशेष 'रसायन-जलवायु मॉडल' विकसित किया, जो उस समय बर्फ की मात्रा, समुद्र के स्तर और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र जैसे कारकों का सटीक विश्लेषण कर सकता था।
अब तक के सबसे बड़े तूफान से 500 गुना अधिक शक्तिशालीमॉडल से पता चला कि 12,350 ईसा पूर्व का सौर तूफान उपग्रहों द्वारा दर्ज किए गए सबसे बड़े तूफान (जो 2005 में आया था) से 500 गुना अधिक शक्तिशाली था। यदि आज ऐसा कोई तूफान आए तो हमारी दुनिया की प्रौद्योगिकी और संचार प्रणालियां बुरी तरह से बाधित हो सकती हैं, इसलिए ऐसे प्राचीन तूफानों को समझना भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
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