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मांस या कुछ और.... आखिर क्या है बीफ टैलो? जिसका तिरुपति बालाजी प्रसाद में हो रहा था इस्तेमाल

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pc: abplive

भारत में बीफ को लेकर चलने वाली बहस बहुत पुरानी है, लेकिन हाल ही में एक नया विवाद तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद से जुड़ा हुआ है। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने आरोप लगाया है कि मंदिर के प्रसाद में घटिया सामग्री और पशु चर्बी, विशेषकर "बीफ टैलो", का इस्तेमाल किया गया है। टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट दिखाई, जिसमें यह दावा किया गया कि घी के नमूने में बीफ टैलो पाया गया है।

क्या है बीफ टैलो?
बीफ टैलो एक प्रकार की वसा होती है जो बीफ यानी गाय के मांस से निकाली जाती है। इसमें बीफ के टुकड़ों से निकली चर्बी होती है, जैसे कि रंप रोस्ट, पसलियां, और स्टेक। इसे मांस से निकाले गए वसा को पिघलाकर तैयार किया जाता है, और यह ठंडा होने पर मक्खन जैसा दिखता है। बीफ टैलो का उपयोग अक्सर खाना पकाने या औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है।

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PC: businesstoday

विवाद की पृष्ठभूमि
विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में घी के बजाय पशु वसा का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मंदिर की पवित्रता और हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच या सीबीआई से जांच कराने की मांग की।

तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद का विवाद
तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद की खासियत यह है कि हर दिन लगभग 3 लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं। आरोप है कि इन लड्डुओं में उपयोग किए गए घी में बीफ की चर्बी, अन्य जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला हुआ था। यह लड्डू भगवान वेंकटेश को चढ़ाए जाते हैं और भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं।

घी की आपूर्ति का मामला
पिछले 50 सालों से कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) तिरुपति मंदिर को शुद्ध देसी घी की आपूर्ति कर रहा था। हालांकि, जुलाई 2023 में, KMF ने कम कीमत पर घी आपूर्ति करने से इनकार कर दिया। इसके बाद जगन मोहन रेड्डी सरकार ने पांच अन्य फर्मों को घी सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी। जुलाई में घी के सैंपल में गड़बड़ी पाई गई, जिसके बाद अगस्त 2023 में फिर से KMF को घी की आपूर्ति का काम सौंपा गया।

यह विवाद अब राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है।

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