ज्ञानपीठ पुरस्कार 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रसिद्ध कवि और गीतकार गुलजार तथा संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। यह पुरस्कार उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया है। स्वास्थ्य कारणों से गुलजार समारोह में उपस्थित नहीं हो सके, जबकि रामभद्राचार्य ने पुरस्कार ग्रहण किया।
गुलजार- उर्दू साहित्य के महानायक
90 वर्षीय गुलजार, जिनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है, हिंदी सिनेमा और उर्दू साहित्य में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताएं और गीत जीवन की गहराइयों को उजागर करते हैं। उनके प्रसिद्ध गीतों में “मैंने तेरे लिए” (आनंद) और “दिल ढूंढता है” (मौसम) शामिल हैं। उन्हें सात राष्ट्रीय पुरस्कार, 21 फिल्मफेयर पुरस्कार, 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्मभूषण, 2008 में “जय हो” गीत के लिए ऑस्कर और ग्रैमी, तथा 2013 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
रामभद्राचार्य- संस्कृत के महान विद्वान
75 वर्षीय जगद्गुरु रामभद्राचार्य, चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक, ने 240 से अधिक ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य भी शामिल हैं। उन्होंने मात्र पांच वर्ष की आयु में भगवद्गीता का अध्ययन शुरू किया और सात वर्ष की आयु में रामचरितमानस का पाठ किया। शारीरिक चुनौतियों के बावजूद उनकी “दिव्य दृष्टि” ने साहित्य और समाज की सेवा की। राष्ट्रपति ने कहा कि रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी पाणिनि की अष्टाध्यायी, ब्रह्मसूत्र और उपनिषदों पर व्याख्या को भी सराहा गया। उन्हें 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2015 में पद्मविभूषण प्राप्त हुआ।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का महत्व
1961 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करता है। इससे पहले फिराक गोरखपुरी, रामधारी सिंह दिनकर, आशापूर्णा देवी, महादेवी वर्मा और गिरीश कर्नाड जैसे साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है। रामभद्राचार्य को प्रशस्ति पत्र, नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा प्रदान की गई। वर्ष 2024 के लिए हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
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