ढाका। ये खबर सभी को खुश करने वाली है। बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने हिंदू धर्मगुरु और सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को जमानत दे दी है। चिन्मय कृष्ण दास बीते 6 महीने से ढाका की जेल में कैद थे। चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश की पुलिस ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि चिन्मय कृष्ण दास ने अपने एक कार्यक्रम में धार्मिक ध्वज के नीचे बांग्लादेश का झंडा लगाया। चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किए जाने पर भारत ने भी चिंता जताई थी। हिंदू संगठन लगातार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मांग कर रहे थे कि चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जाए।
दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और उनकी हत्या का विरोध किया था। अपने हजारों समर्थकों के साथ चिन्मय कृष्ण दास ने ढाका और बांग्लादेश के अन्य जगह विरोध प्रदर्शन किए थे। जिसके बाद ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के आदेश पर ढाका पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास को राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में कई वकील चिन्मय कृष्ण दास की तरफ से मुकदमा लड़े। चिन्मय कृष्ण दास के एक वकील ने ये आरोप भी लगाया कि उनके मुवक्किल का केस न लड़ने के लिए कट्टरपंथियों ने धमकी तक दी। बहरहाल, अब चिन्मय कृष्ण दास को जमानत मिलने से बांग्लादेश के हिंदू समुदाय समेत सभी लोग खुश होंगे।
चिन्मय कृष्ण दास पहले अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संस्था इस्कॉन के साथ जुड़े रहे थे। चिन्मय कृष्ण दास के बारे में ये भी आरोप लगाया गया कि उनको इस्कॉन ने बाहर निकाल दिया था। हालांकि, इस्कॉन ने इस आरोप पर कुछ नहीं कहा। वहीं, चिन्मय कृष्ण दास के वकील बांग्लादेश से कोलकाता आकर इस्कॉन के लोगों से मिले भी थे। इस्कॉन ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को गलत भी बताया था। बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर काफी जुल्म हुए। तमाम हिंदुओं की हत्या भी की गई। अल्पसंख्यक बौद्धों और ईसाइयों को भी निशाना बनाया गया, लेकिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार यही कहती है कि ये सभी हमले राजनीतिक कारणों से हुए और मामलों की संख्या भी बढ़ा-चढ़ाकर बताने का आरोप वो लगाती है।
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