नई दिल्ली। विदेशी कंपनियों के सीसीटीवी कैमरों समेत अन्य सुरक्षा संबंधी निगरानी उपकरणों की टेस्टिंग के भारत ने अब नियम सख्त कर दिए हैं। चीनी जासूसी के खतरे से निपटने के लिए भारत ने यह कदम उठाया है। नए नियम के तहत अब सीसीटीवी बनाने वाली कंपनियों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड सरकारी लैब में टेस्ट के लिए जमा कराने होंगे। वहीं सरकार के इस फैसले से उद्योग जगत में काफी हलचल शुरू हो गई है। सीसीटीवी निर्माता कंपनियों का कहना है कि उन्हें हाई सिक्योरिटी टेस्टिंग और अप्रूवल में देरी के कारण काफी व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है।
चीन के हिकविजन, श्याओमी और दहुआ, दक्षिण कोरिया के हनवा और अमेरिका के मोटोरोला सॉल्यूशंस जैसी कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है कि वो भारत की सरकारी लैब में अपने सीसीटीवी कैमरे टेस्ट कराएं उसके बाद ही उन्हें भारत में बिक्री की अनुमति दी जाएगी। 9 अप्रैल से ये नियम लागू हो चुके हैं। भारतीय अधिकारियों ने 3 अप्रैल को मोटोरोला, हनवा, हनीवेल, बॉश और श्याओमी सहित 17 विदेशी और घरेलू कंपनियों के अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक की थी। अधिकतर कंपनियों ने सरकार के नए नियमों का विरोध किया था और उन्होंने इसे लागू करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, हालांकि सरकार की तरफ से कंपनियों की मांग को खारिज कर दिया गया है।
आपको बता दें कि साल 2021 में तत्कालीन आईटी मंत्री ने संसद में जानकारी दी थी कि सरकारी संस्थानों में लगे 1 मिलियन सीसीटीवी कैमरे चीन की कंपनियों के थे और इनसे जुड़ा डेटा विदेशों को भेजा जाता था। भारत के पूर्व साइबर सुरक्षा प्रमुख गुलशन राय ने रॉयटर्स को बताया कि सीसीटीवी और अन्य निगरानी उपकरणों के जरिए जासूसी का खतरा हमेशा बना रहता है। इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी कैमरों को कहीं से भी संचालित और नियंत्रित किया जा सकता है। इस संभावना को देखते हुए सीसीटीवी कैमरों को टेस्टिंग की मजबूत सुरक्षा प्रणाली से गुजरना जरूरी है।
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