नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के प्रीमियर शैक्षिक संस्थान जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में छात्रसंघ ने शनिवार को दिल्ली दंगों के आरोपियों की रिहाई के लिए फ्रीडम मार्च निकाला। जेएनयू छात्रसंघ ने कैंपस के गंगा ढाबा से साबरमती ढाबा तक मार्च निकालकर दिल्ली दंगों के आरोपियों को रिहा करने के लिए ढफली बजाकर नारेबाजी की। बता दें कि दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद ने जेएनयू से ही पढ़ाई की थी। उसके पिता एसक्यूआर इलियास समेत कई आरोपियों के घरवाले भी जेएनयू के मार्च में शामिल हुए। उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम समेत कई आरोपी दिल्ली दंगा मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। इन सभी पर यूएपीए कानून की सख्त धाराएं लगी हैं।
उमर खालिद, गुलफिशा और शरजील इमाम समेत आरोपियों पर साल 2020 में दिल्ली दंगा में सक्रिय भागीदारी का आरोप है। जेएनयू के छात्र रहे उमर खालिद पर आरोप है कि दिल्ली दंगों के वक्त वाट्सएप के जरिए भीड़ इकट्ठा करने की कोशिश की। वहीं, गुलफिशा फातिमा पर आरोप है कि दिल्ली में दंगा कराने की बड़ी साजिश रची थी। शरजील इमाम पर एक जनसभा में पूर्वोत्तर के चिकन नेक को काटने के लिए मुस्लिमों को भड़काने का आरोप लगा है। उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम को ट्रायल कोर्ट से जमानत नहीं मिली। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बीते दिनों दिल्ली दंगा के सभी आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। जिसके बाद उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।
उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 19 सितंबर को सुनवाई करेगा। सीएए कानून के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन शुरू हुए थे। इसके बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में आईबी के अफसर अंकित शर्मा समेत 53 लोगों की हत्या हुई। इसके अलावा दर्जनों लोग घायल हुए थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तमाम लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से कई को कोर्ट ने जमानत दे दी है। उमर खालिद, गुलफिशा और शरजील के बारे में इनके साथियों का दावा है कि दंगा में कोई भूमिका नहीं रही है। ऐसे में देखना ये है कि इन तीनों की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट राहत देता है या नहीं।
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