नई दिल्ली: अमेरिका के टैरिफ फैसले ने वहां के खरीदारों को परेशानी में डाल दिया है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिकी खरीदार अपने मौजूदा ऑर्डरों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं और उनमें से कुछ छूट की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समान टैरिफ को देखते हुए अमेरिकी खरीदार भी आयात के लिए बेहतर स्रोतों की तलाश कर रहे हैं।
कुछ निर्यातकों ने चिंता व्यक्त की है कि 60 देशों से आयात शुल्क में भारी वृद्धि के कारण कुछ खरीदारों को नकदी संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब तक औसत अमेरिकी आयात शुल्क 3 प्रतिशत के दायरे में था। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिकी खरीदारों को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ता है तो भारतीय निर्यातकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इससे भुगतान में विलंब हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप भुगतान चक्र लंबा हो सकता है। इसके अलावा कीमतों पर पड़ने वाले असर को समझने के लिए गणना भी की जा रही है।
जहां तक भारत का सवाल है, यहां सीमा शुल्क अधिकारी 9 अप्रैल तक माल की त्वरित निकासी के लिए काम कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता 9 अप्रैल से पहले अधिक से अधिक खेप भेजना है।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ ने कहा कि अगले कुछ सप्ताहों में मांग में नरमी आ सकती है, क्योंकि खरीदार अतिरिक्त शुल्क के प्रभाव का आकलन करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो भारी प्रतिशोध का सामना कर रहा है।
फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति है। टैरिफ वृद्धि के मद्देनजर खरीदार अपनी नकदी स्थिति का आकलन कर रहे हैं। खरीदारों को यह देखना होगा कि क्या खरीद की मात्रा वही रहेगी या उसमें कटौती करनी होगी। यह मूल्यांकन सभी देशों के संदर्भ में किया जाना चाहिए।
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