देश भर में गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है। गर्मी के दिनों में बाहर सूर्य की पराबैंगनी किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इन दिनों में आपको अपनी त्वचा के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्मियां बढ़ते ही हर घर में छाछ, लस्सी, कोल्ड ड्रिंक या अन्य पेय पदार्थों का सेवन शुरू हो जाता है। इसके साथ ही गर्मियों में एक पसंदीदा पेय है गन्ने का रस। गन्ने का रस पीने से शरीर को कई लाभ होते हैं। शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को कम करने के लिए गन्ने के रस का सेवन किया जाता है। हालाँकि, कुछ लोगों को हमेशा गन्ने का रस पीने की आदत होती है। लेकिन लगातार गन्ने का जूस पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है। इसलिए आज हम आपको गन्ने के जूस के अधिक सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में विस्तार से बताएंगे।
गन्ने का रस पीने के फायदे:
गर्मी के दिनों में गन्ने का रस एक पसंदीदा पेय है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, पोटेशियम और खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को गन्ने का जूस पीना पसंद होता है। एक गिलास गन्ने के रस में 250 कैलोरी और 100 ग्राम चीनी होती है। इसलिए दिन में एक या दो गिलास गन्ने का रस अवश्य पियें। इससे अधिक गन्ने का रस न पियें। इससे शरीर का वजन बढ़ सकता है।
गन्ने का रस पीने के नुकसान: मधुमेह:गन्ने के रस में चीनी की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा गन्ने के रस में मौजूद मिठास मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद नहीं होती। इसके अलावा, गन्ने के रस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ता है। शरीर में मधुमेह बढ़ने से हृदय, गुर्दे, आंखों और रक्त वाहिकाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को ज्यादा गन्ने का रस नहीं पीना चाहिए।
त्वचा संबंधी समस्याएं:गन्ने के रस का अधिक सेवन करने से चेहरे को नुकसान पहुंचता है। चेहरे पर कील-मुंहासे और कालापन आने के अलावा त्वचा में कई अन्य बदलाव भी देखे जा सकते हैं। इस जूस के सेवन से त्वचा बहुत बूढ़ी और बूढ़ी दिखने लगती है। चेहरे पर झुर्रियां आने लगती हैं। इसके अलावा त्वचा की लोच कम हो जाती है और त्वचा ढीली हो जाती है।
दंत समस्याएं:
गर्मियों सहित सभी मौसमों में गन्ने का रस पीने से दांतों की समस्या हो सकती है। कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे दांतों के बीच अंतराल, दांतों की सड़न, या दांतों की खराब गुणवत्ता। इसके अलावा इसमें मौजूद चीनी की अधिक मात्रा मुंह में बैक्टीरिया की वृद्धि और सांसों की बदबू को बढ़ा सकती है।
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