फीनिक्स (एरिजोना) / फिलाडेलफिया( पेनसिलवेनिया) अमेरिका में चाहे फिनिक्स हो या फिलाडेलफिया या कोई और शहर, जगह-जगह महिलाओं की छोटी-छोटी टुकड़ी मुखर होकर सड़कों और गलियों में दिख जा रही हैं। ये महिलाएं अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट्स उम्मीदवार कमला हैरिस के पक्ष में वोटिंग के लिए लोगों से अपील कर रही हैं। वे दूसरी महिलाओं से आग्रह कर रही हैं कि अगर वे चाहती हैं कि उनके शरीर और उनके फ़ैसलों पर उनका अधिकार हो न कि सरकार का तो वे हैरिस के पक्ष में वोट करें। इस प्रचार में उस इलाके की तमाम लोकप्रिय हस्ती भी शामिल हो रही हैं। कहा जा रहा है कि महिलाओं के बीच इस कदर आक्रामक प्रचार अमेरिकी चुनाव में कभी नहीं हुआ है। मौजूदा उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेट्स उम्मीदवार कमला हैरिस मजबूत और जीत के दावेदार माने जा रहे रिपब्लिकल उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अगर अंतिम समय में पीछे छोड़ने की उम्मीद कर रही है तो उसके पीछे एकमात्र कारण महिला वोटरों से चमत्कार की उम्मीद है। अब तक अधिकतर ओपेनियन पोल में ट्रंप हैरिस से आगे बताए जा रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कमला हैरिस ने अपना पूरा कैंपेन महिला मुद्दों के इर्द-गिर्द कर लिया है और महिलाएं भी उनके समर्थन में आने से खेल बराबरी का हो गया। एनबीटी ने इन इलाक़ों में कई महिलाओं से बात की तो उन्होंने माना कि हालिया घटना ने उन्हें आक्रामक होकर राजनीतिक स्टैंड लेने को मजबूर किया। खासकर अगर कमला हैरिस ने श्ववेत महिलाओं में वोट का एक हिस्सा अपने पक्ष में करने में सफल हुई तो वह चौंका सकती है। अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के फॉरेन प्रेस सेंटर ने इस चुनाव में कवरेज के लिए एनबीटी को भी खास आमंत्रण दिया है। पूरे अमेरिका में 5 नवंबर को वोटिंग होने वाली है। अगले दिन वोटों की गिनती होगी। शुरुआती संकेतों में महिलाओं ने मारी बाजीअमेरिका में वोटिंग 5 नवंबर को होनी है। लेकिन लोग पहले भी वोट डाल सकते हैं। अब तक अमेरिका में लगभग 6 करोड़ 50 लाख लोग वोट डाल चुके हैं। इनमें 56 फीसदी महिलाएं है जबकि 44 फीसदी पुरुष हैं। 12 फीसदी महिलाओं का वोट के लिए पहले निकलना यहां असाधारण माना जा रहा है। कमला हैरिस और उनके समर्थक इसे अपने पक्ष में मान रहे हैं जबकि ट्रंप समर्थकों इसे बहुत तवज्जो नहीं दे रहे हैं। गर्भपात कानून बना है सबसे बड़ा मुद्दाकमला हैरिस को महिला वोटर पर निर्भरता मुख्य कारण गर्भपात कानून को लेकर है। 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं से गर्भपात का अधिकार छीन लिया। यह फैसला देने वाले जज ट्रंप के शासनकाल में नियुक्ति में हुए थे और फैसले के बाद ट्रंप ने इसपर खुशी भी जतायी। यहीं से महिलाओं ने उनके खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की और यह तब से यहां बड़ा मुद्दा बन गया। महिलाओं ने इसे अपने अधिकार से जोउ़ लिय। 2022 में अमेरिका में हुए मध्याविधि चुनाव में डेमोक्रेट्स ने जब तमाम ओपेनियन पोल को गलत साबित कर जीत हासिल की तब माना गया कि इसी मुद्दे ने महिलाओं के वोटिंग को अंतिम समय में बदला। तब से डेमोक्रेट्स इस मुद्दे को अपने कैंपेन के केंद्र में रखकर चल रहे हैं और ट्रंप ने भले बाद में इस मुद्दे से खुद को अलग करने की कोशिश की लेकिन अभी वे कम से कम यहां संघर्ष करते दिख रहे हैं। मौक़ा देखकर हैरिस ने अमेरिका की तमाम सेलिब्रेटी महिलाओं को भी अपने पक्ष में कुछ हद तक किया है। हॉलीवुड सुपरस्टार जेनिफ़र लोपेज़ से लेकर मिशेल ओबामा और तमाम दूसरी लोकप्रिय महिलाएं उनके लिये जमकर रैली कर रही हैं। लोकल एक्टर सोफिया जेम्स ने कहा कि वह पहली बार चुनाव में किसी के पक्ष में इस तरह उतरी हैं। लेकिन ट्रंप के लिए उम्मीद बाकी हैलेकिन ऐसा नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप के लिए उम्मीद समाप्त हो गयी है। डोनाल्ड ट्रंप इसे काउंटर करने के लिए खुद को महिलाओं का अभिभावक बता रहे हैं जो उनके लिए सही फैसला लेता है। माना जा रहा है कि अंतत: चुनाव में महिलाओं का वोटर ही निर्णय करेगा कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा।देश में श्वेत महिलाएं रिपब्लिकन पार्टी की कोर वोटर रही हैं। 2016 में जब हिलेरी क्लिंटन बतौर महिला डेमोक्रेट्स उम्मीदवार ट्रंप के सामने थी तब भी अधिकतर श्वेत महिलाओं ने ट्रंप के समर्थन में वोट किया था। लेकिन इस बार महिला मुद्दों के सामने आने के सवाल उठे कि क्या इस बार भी वे ट्रंप के साथ रहेंगी या नहीं। रिपब्लिकन पार्टी के लिए काम कर रही लिसा मे ने एनबीटी से कहा कि यह गलत बात है कि महिलाओं के मुद्दे को बस उनके शरीर तक सीमित कर दिया गया है। उनका तर्क है कि अप्रवासी मुद्दा,महंगाई का मुद्दा, यहां के लोगों के लिए रोजगार का मुद्दा,उनके बच्चों के बेहतर भविष्य का मुद्दा ये सभी महिलाओं को भी उतने ही प्रभावित करते हैं जितने पुरुषों को। ऐसे में कह देना कि किसी एक मुद्दे के कारण महिलाएं अपने जीवन के सबसे असल बातों को छोड़कर ऐसे पार्टी को वोट करेंगी जो उनके भविष्य को गलत तरीके से प्रभावित कर रही है, यह गलत है। यही तर्क ट्रंप भी दे रहे हैं। उनके और उनके रणनीतिकार का मानना है कि एक लिबरल वर्ग को जरूर एबार्शन मुद्दा प्रभावित कर सकता है लेकिन अधिक उम्र की महिलाएं या जिनके बच्चें बड़े हो रहे हैं,वे जरूरी नहीं है कि वे इसके साथ खड़े हो। इन महिला वोटरों के बीच सेंध लगाकर ट्रंप अपना किला बचाना चाहते हैं और जब एनबीटी ने मौके पर कई श्वेत महिलाएं से बात की तो लगा कि वे ट्रंप को वोट कर सकती है। सफ़ाई कर्मचारी की ड्रेस की डिमांड बढ़ी पिछले 2 दिनों से सड़कों पर सफ़ाई कर्मचारी की ड्रेस बिकती खूब दिख रही है। ट्रंप समर्थक इसे पहनकर घूम रहे हैं। दरअसल मौजूदा राष्ट्रपति बाइडन ने ट्रंप समर्थकों को कूड़ा कहा। तब से ट्रंप ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना लिया है। ट्रंप रैली में सफाई कर्मचारी के कपड़े पहनकर पहुंच रहे हैं। एक जगह वे कूड़ा साफ़ करने वाले ट्रक से रैली स्थल पहुंचे।
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