नई दिल्ली: दिल्ली के चार बड़े इंडस्ट्रियल एरिया से प्रॉपर्टी टैक्स का कलेक्शन अब हेड क्वॉर्टर द्वारा किया जाएगा। अभी तक यह काम उस जोन के प्रॉपर्टी टैक्स विभाग द्वारा किया जा रहा था। प्रत्येक इंडस्ट्रियल एरिया की असोसिएशन के साथ मिलकर कारोबारियों की समस्याओं को दूर करने के लिए सप्ताह में एक दिन कैंप भी लगाए जा रहे हैं। प्रॉपर्टी टैक्स विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिन चार इंडस्ट्रियल एरिया को जोन से हटाकर हेड क्वॉर्टर ने अपने अंडर लिया है उनमें नरेला, बवाना, ओखला और नारायणा इंडस्ट्रियल एरिया शामिल है। दलालों का बोलबालाचारों एरिया में फैक्ट्रियों की संख्या 20 से 25 हजार के करीब बताई जा रही है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि फैक्ट्री मालिकों से लगातार शिकायतें मिल रही थी कि जोनल स्तर पर प्रॉपर्टी टैक्स विभाग में बड़े पैमाने पर दलाल एक्टिव हैं। इनकी वजह से फैक्ट्री मालिक सीनियर अधिकारियों से मिल ही नहीं पाते। जोनों में दलालों को इतना बोलबाल है कि उनकी मर्जी के बगैर कोई काम नहीं हो पाता। विभाग को हो रहा नुकसानअधिकारियों का कहना है कि दलालों की वजह से प्रॉपर्टी टैक्स विभाग को बड़े पैमाने पर रेवेन्यू लॉस हो रहा है। जो कारोबारी ईमानदारी से अपना प्रॉपर्टी टैक्स भरना चाहते है उन्हें दलालों की वजह से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सूत्रों का कहना है कि चारों इंडस्ट्रियल एरिया को हेड क्वॉर्टर से हटाने के लिए सीनियर अधिकारियों पर कई जगहों से दबाव भी डलवाया गया, लेकिन टॉप अधिकारियों के गंभीर रुख के चलते उनकी एक नहीं चली। समस्याएं दूर करने के लिए शिविर का सहाराप्रॉपर्टी टैक्स विभाग का कहना है कि कारोबारियों की समस्याओं को दूर करने के लिए इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी असोसिएशन के संपर्क में है। असोसिशन के साथ मिलकर प्रत्येक इंडस्ट्रियल एरिया में सप्ताह में एक दिन स्पेशल शिविर लगाया जा रहा है। शिविर में कारोबारियों की समस्याओं को दूर किया जाएगा। इतना ही नहीं सीनियर अधिकारी भी 15 दिन में कम से कम एक बार कारोबारियों से जाकर मिलेंगे। विभाग का कहना है कि इस साल फाइनेंशियल ईयर में प्रॉपर्टी टैक्स विभाग को 4,000 करोड़ का टारगेट मिला हुआ है। अभी तक लगभग 1700 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है।
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