लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार पर लगाम कसने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 'ऑपरेशन क्लीन' नाम से एक व्यापक अभियान शुरू किया है। हाल के दिनों में कोडीन युक्त कफ सिरप और अन्य नारकोटिक दवाओं की बड़े पैमाने पर तस्करी का पर्दाफाश हुआ है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में करोड़ों रुपये कीमत की प्रतिबंधित दवाएं जब्त की गई हैं, जबकि दर्जनों तस्कर गिरफ्तार हो चुके हैं। यह अभियान न केवल अवैध बिक्री को रोकने पर केंद्रित है, बल्कि युवाओं को नशे के जाल से बचाने का भी प्रयास है।
पिछले एक महीने में यूपी के विभिन्न जिलों में कोडीन युक्त दवाओं की तस्करी के कई बड़े रैकेट पकड़े गए हैं। सबसे बड़ी कार्रवाई गाजियाबाद में हुई, जहां 4 नवंबर को सोनभद्र पुलिस और गाजियाबाद SWAT टीम ने अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। मछली गोदाम परिसर से 1,57,350 शीशियां (करीब 15,735 लीटर) एस्कुफ और फेन्सेडिल सिरप जब्त की गईं, जिनकी कीमत 3.40 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आठ तस्करों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मुख्य आरोपी सौरभ त्यागी शामिल है। यह सिरप हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब और बद्दी से फर्जी लाइसेंस पर मंगाया जाता था।
इसी क्रम में, 19 अक्टूबर को सोनभद्र में ही एक और खेप पकड़ी गई, जिसमें चिप्स के कार्टनों में छिपाकर ले जाए जा रही 3 करोड़ रुपये कीमत की कोडीन युक्त कफ सिरप बरामद हुई। तीन तस्कर- हेमंत पाल, बृजमोहन शिवहरे और रामगोपाल धाकड़ (सभी मध्य प्रदेश के) गिरफ्तार हुए। पुलिस को शक है कि यह खेप मध्य प्रदेश और झारखंड के रास्ते नेपाल और पाकिस्तान तक पहुंचाई जा रही थी।
लखीमपुर खीरी में 4 नवंबर को न्यू रॉय मेडिकल एजेंसी से 1,200 बोतलें (2 लाख रुपये की) जब्त हुईं, जबकि 14 अक्टूबर को पीयूष मेडिकल एजेंसी से 68 लाख रुपये के ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद कर मालिक सरोज कुमार मिश्रा को गिरफ्तार किया गया।
लखनऊ का मेडिसिन मार्केट: अवैध कारोबार का केंद्र
लखनऊ के अमीनाबाद ओल्ड मेडिसिन मार्केट को नशीली दवाओं का हॉटस्पॉट बताया जा रहा है। 12 अक्टूबर को FSDA ने दीपक मनवाणी को गिरफ्तार किया, जिसके घर और गोदाम से भारी मात्रा में कोडीन सिरप और अन्य नशीली दवाएं बरामद हुईं। मनवाणी अमीनाबाद की न्यू मंगम एजेंसी (सूरज मिश्रा) और मोंटी सरदार से बिना बिल के दवाएं खरीदकर नशेड़ियों को ऊंचे दामों पर बेचता था।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN) ने हाल ही में इसी इलाके से 20 लाख से अधिक टैबलेट (अल्प्राजोलम, ट्रामाडोल, क्लोनाजेपम) और 5,700 बोतलें कोडीन सिरप (38 बाक्स) जब्त कीं, जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है।
फर्जी बिलिंग का खुलासा भी चौंकाने वाला है। श्री श्याम फार्मा के मालिक विशाल चौरसिया पर फर्जी बिलों से कोडीन सिरप की बिक्री का आरोप है, जिसके खिलाफ FIR दर्ज हुई। इसके अलावा, ARPIK और IDHIKA Lifesciences Pvt. Ltd. के डिपो पर छापे मारे गए, जहां से लखीमपुर खीरी को करोड़ों की दवाएं सप्लाई की जा रही थीं। FSDA ने 115 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की, जिसमें 25 मेडिकल स्टोरों पर कोडीन और नारकोटिक दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी।
बहराइच और अन्य जिलों में सतर्कता: स्थानीय स्तर पर जाल फंसे
बहराइच में 13-15 अक्टूबर को देवीपाटन मंडल के सहायक औषधि आयुक्त मुकेश जैन ने मोहम्मद अली के घर और आफताब की दुकान पर छापा मारा। क्रेटा कार से सप्लाई हो रही 9 लाख रुपये कीमत की कोडीन सिरप और दर्द निवारक कैप्सूल जब्त कर दो को गिरफ्तार किया गया। लखनऊ कार्यालय से मिली टिप पर यह कार्रवाई की गई। इसी तरह, रायबरेली, सीतापुर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, कौशांबी और मुजफ्फरनगर में 10 से अधिक मेडिकल स्टोर सील किए गए। 14 अक्टूबर को एक विधायक की गाड़ी से कोडीन सिरप की सप्लाई का मामला सामने आया, जिसके तार पाकिस्तान-नेपाल तक जुड़े बताए जा रहे हैं।
कोडीन का खतरा: स्वास्थ्य पर गंभीर असर, युवाओं पर संकट
कोडीन एक ओपिओइड है, जो खांसी दवा के रूप में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसका दुरुपयोग नशे के रूप में तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दवा लत लगाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, दौरा पड़ना, लीवर फेलियर और मौत तक हो सकती है। यूपी में युवाओं में नशे की लत बढ़ने से अपराध और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। राजस्थान-मध्य प्रदेश में कोडीन सिरप से बच्चों की मौतों के बाद यूपी में अलर्ट जारी है। FSDA आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने कहा कि ये दवाएं NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं, और अवैध बिक्री से समाज को खतरा है।
सरकारी कदम: व्यापक जांच और जन जागरूकता
योगी सरकार ने FSDA को निर्देश दिए हैं कि पूरे प्रदेश में सघन जांच हो। अब तक 1,039 छापेमारियां हुईं, 13,848 नमूने लिए गए, और 30 करोड़ रुपये की नकली/नशीली दवाएं जब्त की गईं। 68 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि 1,166 दवा कारोबारियों के लाइसेंस रद्द किए गए। विभाग ने व्हाट्सएप नंबर (8756128434) जारी किया है, जहां अवैध बिक्री की शिकायत की जा सकती है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत सख्त कार्रवाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराज्यीय नेटवर्क को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार से समन्वय जरूरी है।यह अभियान नशामुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन तस्करों के नए रास्ते ढूंढने से चुनौतियां बरकरार हैं। क्या यह मुहिम लंबे समय तक चलेगी? आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं।
पिछले एक महीने में यूपी के विभिन्न जिलों में कोडीन युक्त दवाओं की तस्करी के कई बड़े रैकेट पकड़े गए हैं। सबसे बड़ी कार्रवाई गाजियाबाद में हुई, जहां 4 नवंबर को सोनभद्र पुलिस और गाजियाबाद SWAT टीम ने अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। मछली गोदाम परिसर से 1,57,350 शीशियां (करीब 15,735 लीटर) एस्कुफ और फेन्सेडिल सिरप जब्त की गईं, जिनकी कीमत 3.40 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आठ तस्करों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मुख्य आरोपी सौरभ त्यागी शामिल है। यह सिरप हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब और बद्दी से फर्जी लाइसेंस पर मंगाया जाता था।
इसी क्रम में, 19 अक्टूबर को सोनभद्र में ही एक और खेप पकड़ी गई, जिसमें चिप्स के कार्टनों में छिपाकर ले जाए जा रही 3 करोड़ रुपये कीमत की कोडीन युक्त कफ सिरप बरामद हुई। तीन तस्कर- हेमंत पाल, बृजमोहन शिवहरे और रामगोपाल धाकड़ (सभी मध्य प्रदेश के) गिरफ्तार हुए। पुलिस को शक है कि यह खेप मध्य प्रदेश और झारखंड के रास्ते नेपाल और पाकिस्तान तक पहुंचाई जा रही थी।
लखीमपुर खीरी में 4 नवंबर को न्यू रॉय मेडिकल एजेंसी से 1,200 बोतलें (2 लाख रुपये की) जब्त हुईं, जबकि 14 अक्टूबर को पीयूष मेडिकल एजेंसी से 68 लाख रुपये के ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद कर मालिक सरोज कुमार मिश्रा को गिरफ्तार किया गया।
लखनऊ का मेडिसिन मार्केट: अवैध कारोबार का केंद्र
लखनऊ के अमीनाबाद ओल्ड मेडिसिन मार्केट को नशीली दवाओं का हॉटस्पॉट बताया जा रहा है। 12 अक्टूबर को FSDA ने दीपक मनवाणी को गिरफ्तार किया, जिसके घर और गोदाम से भारी मात्रा में कोडीन सिरप और अन्य नशीली दवाएं बरामद हुईं। मनवाणी अमीनाबाद की न्यू मंगम एजेंसी (सूरज मिश्रा) और मोंटी सरदार से बिना बिल के दवाएं खरीदकर नशेड़ियों को ऊंचे दामों पर बेचता था।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN) ने हाल ही में इसी इलाके से 20 लाख से अधिक टैबलेट (अल्प्राजोलम, ट्रामाडोल, क्लोनाजेपम) और 5,700 बोतलें कोडीन सिरप (38 बाक्स) जब्त कीं, जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है।
फर्जी बिलिंग का खुलासा भी चौंकाने वाला है। श्री श्याम फार्मा के मालिक विशाल चौरसिया पर फर्जी बिलों से कोडीन सिरप की बिक्री का आरोप है, जिसके खिलाफ FIR दर्ज हुई। इसके अलावा, ARPIK और IDHIKA Lifesciences Pvt. Ltd. के डिपो पर छापे मारे गए, जहां से लखीमपुर खीरी को करोड़ों की दवाएं सप्लाई की जा रही थीं। FSDA ने 115 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की, जिसमें 25 मेडिकल स्टोरों पर कोडीन और नारकोटिक दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी।
बहराइच और अन्य जिलों में सतर्कता: स्थानीय स्तर पर जाल फंसे
बहराइच में 13-15 अक्टूबर को देवीपाटन मंडल के सहायक औषधि आयुक्त मुकेश जैन ने मोहम्मद अली के घर और आफताब की दुकान पर छापा मारा। क्रेटा कार से सप्लाई हो रही 9 लाख रुपये कीमत की कोडीन सिरप और दर्द निवारक कैप्सूल जब्त कर दो को गिरफ्तार किया गया। लखनऊ कार्यालय से मिली टिप पर यह कार्रवाई की गई। इसी तरह, रायबरेली, सीतापुर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, कौशांबी और मुजफ्फरनगर में 10 से अधिक मेडिकल स्टोर सील किए गए। 14 अक्टूबर को एक विधायक की गाड़ी से कोडीन सिरप की सप्लाई का मामला सामने आया, जिसके तार पाकिस्तान-नेपाल तक जुड़े बताए जा रहे हैं।
कोडीन का खतरा: स्वास्थ्य पर गंभीर असर, युवाओं पर संकट
कोडीन एक ओपिओइड है, जो खांसी दवा के रूप में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसका दुरुपयोग नशे के रूप में तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दवा लत लगाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, दौरा पड़ना, लीवर फेलियर और मौत तक हो सकती है। यूपी में युवाओं में नशे की लत बढ़ने से अपराध और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। राजस्थान-मध्य प्रदेश में कोडीन सिरप से बच्चों की मौतों के बाद यूपी में अलर्ट जारी है। FSDA आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने कहा कि ये दवाएं NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं, और अवैध बिक्री से समाज को खतरा है।
सरकारी कदम: व्यापक जांच और जन जागरूकता
योगी सरकार ने FSDA को निर्देश दिए हैं कि पूरे प्रदेश में सघन जांच हो। अब तक 1,039 छापेमारियां हुईं, 13,848 नमूने लिए गए, और 30 करोड़ रुपये की नकली/नशीली दवाएं जब्त की गईं। 68 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि 1,166 दवा कारोबारियों के लाइसेंस रद्द किए गए। विभाग ने व्हाट्सएप नंबर (8756128434) जारी किया है, जहां अवैध बिक्री की शिकायत की जा सकती है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत सख्त कार्रवाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराज्यीय नेटवर्क को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार से समन्वय जरूरी है।यह अभियान नशामुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन तस्करों के नए रास्ते ढूंढने से चुनौतियां बरकरार हैं। क्या यह मुहिम लंबे समय तक चलेगी? आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं।
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