रांचीः झारखंड में तीन तरह का मेजर नारकोटिक्स ट्रेड वर्तमान समय में ट्रेंड में है। पहला ट्रेंड राज्य के खूंटी, चतरा में (पोपी कल्टीवेशन) अफीम की खेती होती है। दूसरा मुख्य रूप से आंध्र और तेलंगाना से गांजा आता है। पहले में झारखंड सोर्स स्टेट है। जहां अफीम जैसी मादक पदार्थ पैदा होता है और दूसरे राज्यों में जाता है। जबकि दूसरे में झारखंड ट्रांसिट स्टेट है। ओडिशा और आंध्र में गांजा पैदा होता है। जो झारखंड होते हुए यूपी, बिहार, नेपाल समेत अन्य राज्यों में जाता है।तीसरा ट्रेंड ब्राउन शुगर का है। बाहर से ब्राउन शुगर की छोटी-छोटी खेप आती है। जो स्कूल कॉलेज में यंगस्टर्स को टारगेट करती है। पहला खेती देहाती क्षेत्र में होता है। दूसरा वह ट्रांसिट मुख्य सड़कों पर होता है और तीसरा ब्राउन शुगर है। जो राज्य के बड़े-बड़े शहरों जैसे रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो,हजारीबाग, देवघर में बेचा जाता है। अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए मिलती है सैटेलाइट इमेजभारत सरकार झारखंड पुलिस को अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए सैटेलाइट इमेज भी देती है। उससे रफ आइडिया मिलता है। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि अफीम की खेती घर के अंदर नहीं होती है। खुले मैदान में खेती होती है। आसमान के नीचे होती है। कौन नहीं जानता की अफीम की खेती कहां होती है। सभी की इच्छाशक्ति से अफीम की खेती होगी बंदडीजीपी ने कहा कि हर गांव में चौकीदार होता है। झारखंड का कोई ऐसा गांव नहीं है। जहां दो-चार स्कूल के टीचर, सिपाही,सीओ, बीडीओ को जानकारी ना हो। हर गांव में 20-25 ऐसे लोग हैं। जो सरकार से वेतन प्राप्त कर रहे हैं। अगर अफीम की खेती को बंद करने की इच्छा शक्ति रहेगी। तो खेती बंद हो जाएगी। खेती नष्ट करने के साथ एफआईआर भी करनी होगी दर्जडीजीपी ने बताया जो करवाई इस साल हुई है। इसका नतीजा इस साल दिखेगा और अगले साल और ज्यादा दिखेगा। उन्होंने कहा कि थानेदार को कहा गया है कि अफीम की खेती को नष्ट करते हैं, तो एफआईआर भी करना है और उसमें शामिल लोगों को अरेस्ट करना जरूरी है। अगर थानेदार को मालूम नहीं है कि कहां पर खेती हो रही है और कौन खेती कर रहा है। तो वह थानेदार उस एरिया के थानेदार रहने लायक नहीं है। डीजीपी की माने तो अफीम की खेती को टॉलरेंस नहीं कर सकते। यह युवा पीढ़ी को बर्बाद करता है। यंगस्टर्स को टारगेट कर रहा है। फ्यूचर को टारगेट कर रहा है। इस देश के फ्यूचर हम नहीं है। बल्कि युवा है। अगर उन्हें अफीम की आदत डाल देंगे। तो देश का क्या होगा। युवाओं को बचा के रखना है। इसलिए अफीम की खेती कोई भी करेगा। कोई उसको बचाएगा। अगर पुलिस अफसर भी इसमें शामिल रहेंगे और अफीम की खेती से किसी प्रकार का लाभ लेते हुए पाये जाएंगे तो कड़ी से कड़ी प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी के अनुसार इस बार अफीम की खेती के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया है। इस वर्ष के अभियान में और पहले के वर्षों के अभियान में मेजर डिफरेंस है। राज्य में अफीम की खेती नई खेती नहीं है। पिछले 15 साल से हो रही है। इस बार हर अफीम की खेती को नष्ट करने के साथ-साथ प्राथमिकी दर्ज कराई। इस खेती संलिप्त लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। क्राइम अनप्रॉफिटेबल होगा, तो अपराधी खुद क्राइम बंद कर देंगेराज्य के पुलिस मुखिया का मानना है कि राज्य में जिस दिन क्राइम अनप्रॉफिटेबल हो जाएगा। तो क्रिमिनल्स क्राइम करना बंद कर देंगे। यही मैसेज देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत जिस दिन अफीम की खेती करने वाले जान जाएंगे कि खेती करते पकड़े जाने पर जेल जाएंगे। तो वह खेती बंद कर देंगे। हाल के दिनों में खूंटी में अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाएं जाने के बाद कई गांव के लोगों ने खुद-ब-खुद अफीम की खेती को नष्ट किया है।
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