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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के लिए पाकिस्तान यूं ले रहा सोशल मीडिया का सहारा

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नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान आतंक के रास्ते को छोड़ने के बजाय उसे और मजबूत करने पर काम कर रहा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के रास्ते आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देता है। इस बार कश्मीर की जमी पर आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है। सोशल मीडिया पर भारत विरोधी पोस्ट डालने के लिए पिछले एक महीने से पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी हैंडल सोशल मीडिया पर तेजी से सक्रिय हुए हैं। भारत की जांच एजेंसियां इसे जम्मू-कश्मीर में स्थानीय स्तर पर आतंकियों की भर्ती को फिर से शुरू करने के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के एक नए प्रयास के रूप में देख रही हैं। सोशल मीडिया को बना रहा हथियारखुफिया सूत्रों ने बताया है कि एजेंसियों ने फेसबुक, एक्स, टेलीग्राम, डार्क वेब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकवाद से जुड़े चिन्हित खातों पर भारत विरोधी गतिविधियों का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले एक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में ही 2,000 से ज्यादा ऐसी पोस्ट देखी गई हैं जो चिंता का विषय हैं, जबकि 2023 की इसी अवधि में ऐसी केवल 89 पोस्ट देखी गई थीं। यानी ऐसी पोस्टों में 22 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। सोशल मीडिया में कैसी पोस्ट की जा रहीं?हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को पता चला है कि लगभग 2,016 आपत्तिजनक पोस्ट में से 130 से ज्यादा पोस्ट आतंकवाद और भारत विरोधी थीं, 33 पोस्टें अलगाववाद और अलगाव को समर्थन दे रही थीं, और 310 पोस्ट स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने की धमकी से भरी थीं। ब्रेनवॉश करने की कोशिशकेंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सोशल मीडिया के जरिए जम्मू-कश्मीर के युवाओं के मन को प्रभावित करने और उनका शोषण करने और उन्हें राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए कट्टरपंथी बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। ऐसा ही कुछ 2016 में देखा गया था जब हिज्बुल मुजाहिदीन के युवा आतंकवादी बुरहान वानी को मारे जाने से पहले एक आतंकी प्रतीक में बदल दिया गया था। लेकिन, ऐसा उस समय हो रहा है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। 2023 में 22 और 2022 में 113 स्थानीय युवाओं के मुकाबले इस साल नवंबर तक जम्मू-कश्मीर में सिर्फ चार स्थानीय लोग ही आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुए हैं - इनमें से दो शोपियां से और एक-एक श्रीनगर और त्राल से हैं। वास्तव में, जम्मू-कश्मीर में इस समय केवल 30 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं, जबकि 75-80 विदेशी आतंकवादी हैं।एक अधिकारी ने कहा कि स्थानीय स्तर पर भर्ती बढ़ाने की कोशिशों का मतलब मुश्किल सर्दियों की तैयारी नहीं बल्कि 2025 की गर्मियों में बढ़ी हुई आतंकी गतिविधि की तैयारी हो सकती है। जम्मू-कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय स्तर पर भर्ती में आई गिरावट के लिए केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के रवैये को जिम्मेदार ठहराया है, जिसके तहत न केवल आतंकवादियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया था, बल्कि फंडिंग बंद करके और जमीनी समर्थकों पर नकेल कसते हुए, सरकारी नौकरी और पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि के लिए मंजूरी न देकर आतंकवाद के पूरे तंत्र को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। भविष्य के लिए पाकिस्तान की नापाक योजनादिलचस्प बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं तक सोशल मीडिया के जरिए पहुंच बढ़ाने की आतंकवादी संगठनों की कोशिशें ऐसे समय में हो रही हैं जब केंद्रशासित प्रदेश में एक निर्वाचित सरकार आई है। एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या जम्मू-कश्मीर में बदले हुए सत्ता समीकरणों ने, हालांकि पुलिस का नियंत्रण अब भी उपराज्यपाल के पास है, पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगनाओं को वहां परेशानी पैदा करने के लिए और ज्यादा ताकत दी है। हाल ही में खुफिया जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने निकट भविष्य में अपने आतंकी सहयोगियों के जरिए कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को निशाना बनाने की योजना बनाई है।सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह लोगों में अशांति पैदा करने के लिए या संभवतः हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने के जमात-ए-इस्लामी के फ़ैसले से जुड़ा हो सकता है। इस बीच, जम्मू-कश्मीर में ड्रोन गतिविधि चिंता का विषय बनी हुई है। 2023 की इसी अवधि में 31 ड्रोन देखे जाने की तुलना में इस साल अक्टूबर तक 40 ड्रोन देखे गए हैं।
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