नई दिल्ली: भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग (Xu Feihong) ने मंगलवार को भारत के रिश्ते को लेकर ऐसी बात कही जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बार फिर से जले पर नमक छिड़कने का काम करेगा। दरअसल, शू फेइहोंग ने भारत-चीन रिश्ते की तारीफ करते हुए कहा कि अतीत के सीमा मुद्दे को उठाकर भारत-चीन के वर्तमान संबंधों को परिभाषित न करने दें। हमें द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए आगे का रास्ता देखना चाहिए। भारत-चीन 75 वर्षों से अपने संबंधों को लगातार सुधारता आ रहा है और इसका परिणाम भी दिख रहा है। दोनों देशों के बीच आगे रिश्ते और भी अच्छे होंगे।
भारत-चीन के बीच उच्च स्तरीय संपर्क भी सुधर रहे हैं
चीन के राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए शू फेइहोंग ने कहा कि इस वर्ष कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के 76 वर्ष पूरे हो रहे हैं और भारत-चीन राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस दौरान उच्च स्तरीय संपर्कों और लोगों के बीच आपसी संबंधों में काफी सुधार हुआ है। इस अवसर पर विदेश मंत्रालय के सचिव अरुण कुमार चटर्जी भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले वर्ष दो बार मिल चुके हैं, और दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के कारण चार साल तक संबंधों पर लगी रोक के बाद उड़ानें, वीजा और अन्य द्विपक्षीय तंत्रों को बहाल करने पर सहमत हुए हैं।
सीमा विवाद को अलग रखकर चलना चाहिए
उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए मतभेदों को पाटना हमेशा से चीन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने की कुंजी रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों को अतीत से बचे हुए सीमा प्रश्न को वर्तमान चीन-भारत संबंधों को परिभाषित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, न ही विशिष्ट मतभेदों को व्यापक द्विपक्षीय सहयोग को प्रभावित करने देना चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध के दौरान, नई दिल्ली ने कहा था कि सीमा पर सामान्य स्थिति के बिना सामान्य द्विपक्षीय संबंध संभव नहीं हैं।
भारत-चीन के बीच उच्च स्तरीय संपर्क भी सुधर रहे हैं
चीन के राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए शू फेइहोंग ने कहा कि इस वर्ष कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के 76 वर्ष पूरे हो रहे हैं और भारत-चीन राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस दौरान उच्च स्तरीय संपर्कों और लोगों के बीच आपसी संबंधों में काफी सुधार हुआ है। इस अवसर पर विदेश मंत्रालय के सचिव अरुण कुमार चटर्जी भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले वर्ष दो बार मिल चुके हैं, और दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के कारण चार साल तक संबंधों पर लगी रोक के बाद उड़ानें, वीजा और अन्य द्विपक्षीय तंत्रों को बहाल करने पर सहमत हुए हैं।
सीमा विवाद को अलग रखकर चलना चाहिए
उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए मतभेदों को पाटना हमेशा से चीन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने की कुंजी रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों को अतीत से बचे हुए सीमा प्रश्न को वर्तमान चीन-भारत संबंधों को परिभाषित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, न ही विशिष्ट मतभेदों को व्यापक द्विपक्षीय सहयोग को प्रभावित करने देना चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध के दौरान, नई दिल्ली ने कहा था कि सीमा पर सामान्य स्थिति के बिना सामान्य द्विपक्षीय संबंध संभव नहीं हैं।
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