लेकिन इसी सोच पर मशहूर कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने एक कथा के दौरान अपनी राय रखी है। उन्होंने माता-पिता से कहा- ‘औलाद के लिए सिर्फ धन-दौलत मत छोड़कर जाइए’। आखिर, जया किशोरी ने ऐसा क्यों कहा? और क्या है इसके पीछे की सोच? चलिए जानते हैं विस्तार से...
सभी तस्वीरें- सांकेतिक
बच्चों के लिए धन छोड़कर मत जाइए
एक कथा वाचन के दौरान जया किशोरी ने कहा कि, जितने भी माता-पिता यहां बैठे हैं, उनसे मैं कहना चाहती हूं कि बच्चों के लिए धन मत छोड़कर जाइए। उन्हें काबिल बनाकर जाइए।
संस्कार देना भूल जाते हैं

वे आगे कहती हैं कि धन के चक्कर में हम बच्चों को संस्कार देना ही भूल जाते हैं। फिर होता ये है कि घर में खूब पैसा होता है, पर उसे संभालने की समझ औलाद में होती ही नहीं है।
आप जवान हैं
एक अन्य कथा के दौरान जया युवाओं को संबोधित करते हुए कहती हैं कि ‘मैं जानती हूं कि आप जवान हैं, बहुत सारी चीजें आपके आस-पास अभी हैं, आपका जीवन अभी शुरू हुआ है। बड़ी भागदौड़ है।
जीवन खत्म होने की राह पर है
वे आगे कहती हैं कि आप जीवन जी रहे हैं। जवानी के पड़ाव पर हैं। दुनिया बहुत सुंदर है। लेकिन ध्यान दें कि वह बूढ़े हो रहे हैं। उनका जीवन अब खत्म होने की राह पर हैं।
माता-पिता की झुर्रिया देखें

मोटिवेशनल स्पीकर आगे कहती हैं कि वे अब चीजें भूल जाते हैं। कभी शांति से माता-पिता से बातचीत करते हुए देखो, उनकी झुर्रिया देखो। उनके फोन यूज करते वक्त उनका आंख छोटा करना देखो, क्योंकि उनको ठीक से दिख नहीं रहा है।
पैरेंट्स अब बूढ़े हो रहे हैं
कथावाचक आगे कहती हैं कि कभी कुछ अगर दूर से बोल रहे हो, तो फिर उनका दो बार हां कहना देखों, फिर आपको पता चल जाएगा कि वे अब बूढ़े हो रहे हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें।
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