नई दिल्ली: ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संबंधी संसदीय समिति की बैठक गुरुवार को उस समय हंगामे की भेंट चढ़ गया, जब सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और प्रकाश राज को आमंत्रित किए जाने पर भाजपा सांसदों ने अपना विरोध जताया। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संसदीय परंपराओं के उल्लंघन और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठाए। मसूद के कहा, बैठक की शुरुआत 17 सदस्यों की उपस्थिति में हुई थी। मेधा पाटकर और प्रकाश राज को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, ताकि वे ग्रामीण विकास और भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रख सकें।
अगर किसी को बुलाया है तो...
इमरान मसूद ने कहा कि अगर किसी को बुलाया गया है, तो उनकी बात सुननी चाहिए। आप उनसे सहमत हों या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन उनकी बात को अनसुना करना और वॉकआउट करना संसदीय परंपराओं का अपमान है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को सुनने से इनकार कर दिया और बैठक से वॉकआउट कर गए।
कोरम खत्म होने का दावा
इसके बाद जब विपक्षी सांसदों ने उन्हें वापस बुलाने का अनुरोध किया तो अधिकारियों ने दावा किया कि कोरम खत्म हो गया है। बैठक शुरू होने के समय 17 सदस्य मौजूद थे और उन्होंने उपस्थिति दर्ज की थी। फिर अचानक कोरम कैसे खत्म हो गया? यह अराजकता है और संसदीय प्रक्रिया का मखौल उड़ाने जैसा है। आप लोगों को सुनना क्यों नहीं चाहते?
मसूद ने आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी। इस कानून का उद्देश्य किसानों और आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करना था। लेकिन, मध्य प्रदेश के सिंगरौली, ओडिशा और कर्नाटक के औद्योगिक गलियारों में इस कानून का उल्लंघन हो रहा है। आप सुनना नहीं चाहते। लोकतंत्र के अंदर आप सहमत होंगे, असहमत होंगे, लेकिन सुनेंगे तो, अगर नहीं सुनेंगे तो यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।
अगर किसी को बुलाया है तो...
इमरान मसूद ने कहा कि अगर किसी को बुलाया गया है, तो उनकी बात सुननी चाहिए। आप उनसे सहमत हों या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन उनकी बात को अनसुना करना और वॉकआउट करना संसदीय परंपराओं का अपमान है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को सुनने से इनकार कर दिया और बैठक से वॉकआउट कर गए।
कोरम खत्म होने का दावा
इसके बाद जब विपक्षी सांसदों ने उन्हें वापस बुलाने का अनुरोध किया तो अधिकारियों ने दावा किया कि कोरम खत्म हो गया है। बैठक शुरू होने के समय 17 सदस्य मौजूद थे और उन्होंने उपस्थिति दर्ज की थी। फिर अचानक कोरम कैसे खत्म हो गया? यह अराजकता है और संसदीय प्रक्रिया का मखौल उड़ाने जैसा है। आप लोगों को सुनना क्यों नहीं चाहते?
मसूद ने आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी। इस कानून का उद्देश्य किसानों और आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करना था। लेकिन, मध्य प्रदेश के सिंगरौली, ओडिशा और कर्नाटक के औद्योगिक गलियारों में इस कानून का उल्लंघन हो रहा है। आप सुनना नहीं चाहते। लोकतंत्र के अंदर आप सहमत होंगे, असहमत होंगे, लेकिन सुनेंगे तो, अगर नहीं सुनेंगे तो यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।
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