मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में एक दुखद घटना सामने आई। संपत्ति के लालच में बेटों ने अपनी मां के अंतिम संस्कार में देरी कर दी। बरियारपुर थाना क्षेत्र के नया छावनी से सुदामा देवी का शव सुल्तानगंज श्मशान घाट लाया गया। लेकिन, संपत्ति के बंटवारे को लेकर बेटों में विवाद हो गया। इस वजह से अंतिम संस्कार छह घंटे तक रुका रहा। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और अंतिम संस्कार हो सका।
श्मशान घाट पर ही संपत्ति के लिए होने लगा झगड़ा
सुदामा देवी (84) के आठ बेटे थे। इनमें से दो बेटों का पहले ही निधन हो चुका है। बाकी छह बेटे अरुण कुमार यादव, बरुण कुमार यादव, सुनिल कुमार यादव, लाल मोहन यादव, सत्य नारायण यादव और रतन लाल यादव जीवित हैं। शनिवार की रात करीब 9:30 बजे सुदामा देवी का निधन हो गया। अंतिम संस्कार के दौरान छोटे बेटे लाल मोहन यादव ने संपत्ति को लेकर विवाद शुरू कर दिया। यह विवाद श्मशान घाट पर ही अन्य भाइयों के साथ हुआ।
सभी भाई संपत्ति के बंटवारे को लेकर झगड़ने लगे। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। कोई भी अपनी मां को मुखाग्नि देने के लिए तैयार नहीं था। इस वजह से सुदामा देवी का शव छह घंटे तक श्मशान घाट पर पड़ा रहा।
पुलिस के दखल के बाद हुआ अंतिम संस्कार, संपत्ति विवाद अब भी जारी
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। किसी ने बरियारपुर थाने को सूचना दी। बरियारपुर थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार श्मशान घाट पहुंचे। उन्होंने लाल मोहन यादव को समझाया और उसे बेटे की जिम्मेदारी का एहसास कराया। थानाध्यक्ष ने मामले को शांत कराया। इसके बाद रविवार रात करीब 8 बजे मंझले पुत्र लाल मोहन यादव ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। तब जाकर सुदामा देवी का दाह संस्कार संपन्न हुआ। हालांकि, संपत्ति को लेकर विवाद अभी भी जारी है। परिवार और रिश्तेदार मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
संपत्ति विवाद को लेकर मां के अंतिम संस्कार में बेटों के झगड़ने की घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों का कहना है कि संपत्ति के लालच में इंसानियत और रिश्तों को भुला दिया गया। पुलिस ने बताया कि किसी भी पक्ष ने इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
श्मशान घाट पर ही संपत्ति के लिए होने लगा झगड़ा
सुदामा देवी (84) के आठ बेटे थे। इनमें से दो बेटों का पहले ही निधन हो चुका है। बाकी छह बेटे अरुण कुमार यादव, बरुण कुमार यादव, सुनिल कुमार यादव, लाल मोहन यादव, सत्य नारायण यादव और रतन लाल यादव जीवित हैं। शनिवार की रात करीब 9:30 बजे सुदामा देवी का निधन हो गया। अंतिम संस्कार के दौरान छोटे बेटे लाल मोहन यादव ने संपत्ति को लेकर विवाद शुरू कर दिया। यह विवाद श्मशान घाट पर ही अन्य भाइयों के साथ हुआ।
सभी भाई संपत्ति के बंटवारे को लेकर झगड़ने लगे। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। कोई भी अपनी मां को मुखाग्नि देने के लिए तैयार नहीं था। इस वजह से सुदामा देवी का शव छह घंटे तक श्मशान घाट पर पड़ा रहा।
पुलिस के दखल के बाद हुआ अंतिम संस्कार, संपत्ति विवाद अब भी जारी
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। किसी ने बरियारपुर थाने को सूचना दी। बरियारपुर थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार श्मशान घाट पहुंचे। उन्होंने लाल मोहन यादव को समझाया और उसे बेटे की जिम्मेदारी का एहसास कराया। थानाध्यक्ष ने मामले को शांत कराया। इसके बाद रविवार रात करीब 8 बजे मंझले पुत्र लाल मोहन यादव ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। तब जाकर सुदामा देवी का दाह संस्कार संपन्न हुआ। हालांकि, संपत्ति को लेकर विवाद अभी भी जारी है। परिवार और रिश्तेदार मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
संपत्ति विवाद को लेकर मां के अंतिम संस्कार में बेटों के झगड़ने की घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों का कहना है कि संपत्ति के लालच में इंसानियत और रिश्तों को भुला दिया गया। पुलिस ने बताया कि किसी भी पक्ष ने इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
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