नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित 'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में बड़ा और आत्ममंथन भरा बयान दिया। उन्होंने माना कि कांग्रेस सरकार के समय ओबीसी वर्ग की जितनी मजबूती से रक्षा की जानी चाहिए थी, वह नहीं हो पाई। इतना ही नहीं, उन्होंने इसे अपनी खुद की गलती बताया।
राहुल गांधी ने यह बात दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘ओबीसी भागीदारी न्याय सम्मेलन में कही। कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराने के मकसद से इसका आयोजन किया था। इसमें बड़ी संख्या में ओबीसी नेताओं, कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों की भागीदारी रही। सम्मेलन को राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संबोधित किया।
भागीदारी न्याय सम्मेलन के जरिए क्या संदेश देना चाहती है कांग्रेस?
उल्लेखनीय है कि ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ के जरिए कांग्रेस ने यह साफ संकेत दिया है कि ओबीसी तबका अब एस की रणनीतिक प्राथमिकता में है। राहुल गांधी के आत्ममंथन और सुधार के संकल्प के साथ, पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह अब पिछड़े वर्ग के साथ सिर्फ राजनीति नहीं, न्याय और हिस्सेदारी की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए तैयार है। सम्मेलन में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहित अलग-अलग राज्यों से पार्टी के टॉप लीडर्स शामिल हुए। सम्मेलन में कांग्रेस के ओबीसी विभाग का नया लोगो भी लॉन्च किया गया।
ओबीसी वर्ग के मामले में गहराई से समझ नहीं पाया: राहुल
इस मौके पर राहुल ने कहा कि मैं 2004 से राजनीति में हूं और अब जब पीछे देखता हूं, तो पाता हूं कि कई मोर्चों पर मैंने अच्छा काम किया, जैसे मनरेगा, ट्राइबल बिल, भोजन का अधिकार आदि, लेकिन ओबीसी वर्ग के मामलों को उतनी गहराई से नहीं समझ पाया, जितना जरूरी था। मुझे अगर तब उनकी तकलीफें समझ में आई होतीं, तो मैं उसी समय जातिगत जनगणना करवा देता। ये मेरी गलती थी, न कि कांग्रेस की।
जातिगत जनगणना से पीछे नहीं हटेगी कांग्रेस: राहुल
राहुल का कहना था कि ओबीसी वर्ग की परेशानियां अक्सर ‘छुपी हुई’ होती हैं, जिन पर ध्यान नहीं गया। राहुल की दलील थी कि दलितों और आदिवासियों की समस्याएं सीधे दिख जाती हैं, लेकिन ओबीसी की स्थिति अलग है, उनकी तकलीफें पर्दे के पीछे रहती हैं। अपने संबोधन ने राहुल ने अपना मजबूत इरादा जताते हुए कहा कि अब उन्होंने इस गलती को ठीक करने का संकल्प लिया है और जातिगत जनगणना को लेकर वह पीछे नहीं हटेंगे।
इस मौके पर राहुल गांधी ने तेलंगाना सरकार का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां की जातिगत जनगणना से साफ हो गया कि कॉरपोरेट क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी बेहद कम है, जबकि मनरेगा और गिग वर्क जैसे असुरक्षित क्षेत्रों में यही लोग ज्यादा हैं। इस पर उनका कहना था कि यह देश की 90 फीसदी आबादी है, लेकिन जब बजट बनता है और हलवा बंटता है, तो वहां इनका कोई प्रतिनिधि नहीं होता। हलवा हम बना रहे हैं, खा कोई और रहा है।
वहीं दूसरी ओर उन्होंने पीएम मोदी पर भी जमकर निशाना साधा। राहुल ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह पीएम मोदी से दो-तीन बार मिल चुके हैं। राहुल का कहना था कि उनकी सिर्फ शो-बाजी हैं। उनमें दम नहीं है। उन्हें लोगों ने सिर पर चढ़ा रखा है।
खरगे बोले, पीएम मोदी हैं झूठों के सरकार
दूसरी ओर अपने संबोधन में पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पीएम को झूठों का सरकार करार देते हुए कहा कि वह खुद को ओबीसी कहते हैं, लेकिन उन्होंने सत्ता में आने के बाद अपनी जाति को ओबीसी में डलवाया। ये चालबाजी है। उनका कहना था कि मोदी खुद को ओबीसी कहते हैं। वह ओबीसी लोगों के बीच जाकर कहते हैं कि मैं पिछड़ा वर्ग का हूं, मुझे सताया जाता है। लेकिन अब वो सबको सता रहे हैं।
वहीं खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सिर्फ प्रचार करती है, लेकिन ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए कोई ठोस योजना नहीं चल रही। वहीं खरगे ने खरगे ने सम्मेलन में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ओबीसी केंद्रित योजनाएं शुरू करने की अपील भी की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ओबीसी वर्ग को आपस में बांटने और उनके अधिकार छीनने की साजिश कर रही है। खरगे ने संघ व बीजेपी की तुलना जहर से कहते हुए कहा कि आपने इस जहर का स्वाद चखा तो आप खत्म हो जाएंगे। ये आपको बांटने की कोशिश करेंगे, लेकिन आपको एकजुट रहना होगा।
राहुल गांधी ने यह बात दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘ओबीसी भागीदारी न्याय सम्मेलन में कही। कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराने के मकसद से इसका आयोजन किया था। इसमें बड़ी संख्या में ओबीसी नेताओं, कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों की भागीदारी रही। सम्मेलन को राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संबोधित किया।
भागीदारी न्याय सम्मेलन के जरिए क्या संदेश देना चाहती है कांग्रेस?
उल्लेखनीय है कि ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ के जरिए कांग्रेस ने यह साफ संकेत दिया है कि ओबीसी तबका अब एस की रणनीतिक प्राथमिकता में है। राहुल गांधी के आत्ममंथन और सुधार के संकल्प के साथ, पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह अब पिछड़े वर्ग के साथ सिर्फ राजनीति नहीं, न्याय और हिस्सेदारी की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए तैयार है। सम्मेलन में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहित अलग-अलग राज्यों से पार्टी के टॉप लीडर्स शामिल हुए। सम्मेलन में कांग्रेस के ओबीसी विभाग का नया लोगो भी लॉन्च किया गया।
ओबीसी वर्ग के मामले में गहराई से समझ नहीं पाया: राहुल
इस मौके पर राहुल ने कहा कि मैं 2004 से राजनीति में हूं और अब जब पीछे देखता हूं, तो पाता हूं कि कई मोर्चों पर मैंने अच्छा काम किया, जैसे मनरेगा, ट्राइबल बिल, भोजन का अधिकार आदि, लेकिन ओबीसी वर्ग के मामलों को उतनी गहराई से नहीं समझ पाया, जितना जरूरी था। मुझे अगर तब उनकी तकलीफें समझ में आई होतीं, तो मैं उसी समय जातिगत जनगणना करवा देता। ये मेरी गलती थी, न कि कांग्रेस की।
जातिगत जनगणना से पीछे नहीं हटेगी कांग्रेस: राहुल
राहुल का कहना था कि ओबीसी वर्ग की परेशानियां अक्सर ‘छुपी हुई’ होती हैं, जिन पर ध्यान नहीं गया। राहुल की दलील थी कि दलितों और आदिवासियों की समस्याएं सीधे दिख जाती हैं, लेकिन ओबीसी की स्थिति अलग है, उनकी तकलीफें पर्दे के पीछे रहती हैं। अपने संबोधन ने राहुल ने अपना मजबूत इरादा जताते हुए कहा कि अब उन्होंने इस गलती को ठीक करने का संकल्प लिया है और जातिगत जनगणना को लेकर वह पीछे नहीं हटेंगे।
मैंने ठान लिया है कि देश की उत्पादक शक्ति को सम्मान और हिस्सेदारी दिलाकर रहूंगा। जो काम OBC वर्ग के लिए अबतक नहीं कर पाया, उसे दोगुनी स्पीड से करूंगा। pic.twitter.com/qoNlG2k5As
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 25, 2025
इस मौके पर राहुल गांधी ने तेलंगाना सरकार का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां की जातिगत जनगणना से साफ हो गया कि कॉरपोरेट क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी बेहद कम है, जबकि मनरेगा और गिग वर्क जैसे असुरक्षित क्षेत्रों में यही लोग ज्यादा हैं। इस पर उनका कहना था कि यह देश की 90 फीसदी आबादी है, लेकिन जब बजट बनता है और हलवा बंटता है, तो वहां इनका कोई प्रतिनिधि नहीं होता। हलवा हम बना रहे हैं, खा कोई और रहा है।
वहीं दूसरी ओर उन्होंने पीएम मोदी पर भी जमकर निशाना साधा। राहुल ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह पीएम मोदी से दो-तीन बार मिल चुके हैं। राहुल का कहना था कि उनकी सिर्फ शो-बाजी हैं। उनमें दम नहीं है। उन्हें लोगों ने सिर पर चढ़ा रखा है।
खरगे बोले, पीएम मोदी हैं झूठों के सरकार
दूसरी ओर अपने संबोधन में पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पीएम को झूठों का सरकार करार देते हुए कहा कि वह खुद को ओबीसी कहते हैं, लेकिन उन्होंने सत्ता में आने के बाद अपनी जाति को ओबीसी में डलवाया। ये चालबाजी है। उनका कहना था कि मोदी खुद को ओबीसी कहते हैं। वह ओबीसी लोगों के बीच जाकर कहते हैं कि मैं पिछड़ा वर्ग का हूं, मुझे सताया जाता है। लेकिन अब वो सबको सता रहे हैं।
वहीं खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सिर्फ प्रचार करती है, लेकिन ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए कोई ठोस योजना नहीं चल रही। वहीं खरगे ने खरगे ने सम्मेलन में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ओबीसी केंद्रित योजनाएं शुरू करने की अपील भी की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ओबीसी वर्ग को आपस में बांटने और उनके अधिकार छीनने की साजिश कर रही है। खरगे ने संघ व बीजेपी की तुलना जहर से कहते हुए कहा कि आपने इस जहर का स्वाद चखा तो आप खत्म हो जाएंगे। ये आपको बांटने की कोशिश करेंगे, लेकिन आपको एकजुट रहना होगा।
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