मथुरा: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज की रात्रिकालीन पदयात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु रोजाना आते हैं। रात ढाई बजे निकलने वाली यात्रा में उन्हें प्रेमानंद महाराज का दर्शन मिल जाए, इस चाह में वह शाम से ही पदयात्रा मार्ग में दोनों तरफ से इकट्ठा होने लगते हैं। कार्तिक मास और यम द्वितीया पर बड़ी संख्या में आए भक्तों को घंटों इतजार के बाद प्रेमानंद महाराज के दर्शन हुए।
प्रेमानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रकृति और ईश्वर के सुमिरन के महत्व पर उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है, अन्यथा भविष्य में ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहना पड़ेगा। उन्होंने युवाओं को नशे और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह दी, क्योंकि ये सुख की स्थिति में भी दुख का कारण बनते हैं।
'शरीर स्वस्थ रखने के लिए सुबह दौड़ लगानी चाहिए'संत ने एकांतिक वार्ता में प्रकृति और सुमिरन के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी जगह लीजिए। उसमें एक छोटा से पौधा लगाइए। प्रकृति को संवार कर रखना होगा। प्रकृति के साथ हर रोज खिलवाड़ हो रहा है। प्रकृति को नहीं संजोया तो एक दिन ऑक्सीजन के सिलिंडर लेकर चलना होगा। मनुष्य को अपना शरीर स्वस्थ रखने के लिए सुबह दौड़ लगानी चाहिए। ईश्वर का सुमिरन करना होगा। आप भगवान के हो जाओ या भगवान को अपना बना लो। सबसे पहले तो नाम जप करना होगा।
'भजन करने वाले दुख की स्थिति में भी सुखी रहेंगे'प्रेमानंद ने कहा कि नवयुवक, युवतियां जितने भी भ्रमित हो रहे हैं उसके पीछे सिर्फ नशा ही है। व्यभिचार और व्यसन करने वाले लोग सुख की स्थिति में भी दुखी रहेंगे। जो भजन कर रहे हैं वे दुख में सुखी होंगे।
प्रेमानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रकृति और ईश्वर के सुमिरन के महत्व पर उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है, अन्यथा भविष्य में ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहना पड़ेगा। उन्होंने युवाओं को नशे और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह दी, क्योंकि ये सुख की स्थिति में भी दुख का कारण बनते हैं।
'शरीर स्वस्थ रखने के लिए सुबह दौड़ लगानी चाहिए'संत ने एकांतिक वार्ता में प्रकृति और सुमिरन के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी जगह लीजिए। उसमें एक छोटा से पौधा लगाइए। प्रकृति को संवार कर रखना होगा। प्रकृति के साथ हर रोज खिलवाड़ हो रहा है। प्रकृति को नहीं संजोया तो एक दिन ऑक्सीजन के सिलिंडर लेकर चलना होगा। मनुष्य को अपना शरीर स्वस्थ रखने के लिए सुबह दौड़ लगानी चाहिए। ईश्वर का सुमिरन करना होगा। आप भगवान के हो जाओ या भगवान को अपना बना लो। सबसे पहले तो नाम जप करना होगा।
'भजन करने वाले दुख की स्थिति में भी सुखी रहेंगे'प्रेमानंद ने कहा कि नवयुवक, युवतियां जितने भी भ्रमित हो रहे हैं उसके पीछे सिर्फ नशा ही है। व्यभिचार और व्यसन करने वाले लोग सुख की स्थिति में भी दुखी रहेंगे। जो भजन कर रहे हैं वे दुख में सुखी होंगे।
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