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15 साल से चल रहा था अवैध धर्मांतरण गिरोह, कैसे पता नहीं चला! छांगुर मामले में पुलिस और एजेंसियों पर बड़ा सवाल!

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लखनऊ: एटीएस ने अवैध धर्मांतरण गिरोह के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार जरूर कर लिया लेकिन पुलिस व एटीएस के दावे और खुलासे पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अफसरों का दावा है कि छांगुर बाबा पिछले 15 वर्षों से अवैध धर्मांतरण गिरोह चला रहा था। पुलिस के इस दावे से खुद पुलिस और खुफिया व सुरक्षा एजेंसी ही सवालों के घेरे में है कि अगर इतना बड़ा धर्मांतरण गैंग चल रहा था तो किसी को भी इतने सालों तक उसकी भनक क्यों नहीं लगी।



लखनऊ कमिश्नरेट में एटीएस-एसटीएफ के मुख्यालय हैं, खुफिया इकाइयां हैं लेकिन किसी को भी 70 दिन तक यहां एक ही होटल में छिपे रहे छांगुर बाबा और नसरीन के बारे में भनक तक नहीं लगी जबकि एटीएस ने नीतू के पति नवीन और छांगुर बाबा के बेटे महबूब को आठ अप्रैल को ही गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें भी तलाशने में एटीएस को छह महीने लग गए थे।



नामजद पांच आरोपित अब भी पकड़ से दूर

छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन की गिरफ्तारी के आठ दिन बाद भी एटीएस इस एफआईआर में नामज़द पांच आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। 16 नवंबर 2024 को इस मामले की एफआईआर एटीएस के गोमती नगर लखनऊ थाने में दर्ज हुई थी। एफआईआर में नौ लोग नामजद हैं। पहले नंबर पर जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, दूसरे नंबर पर छांगुर का बेटा महबूब, तीसरे नंबर पर नीतू उर्फ नसरीन और चौथे नंबर पर नवीन उर्फ जमालुद्दीन है। इन चारों को यूपी एटीएस गिरफ्तार कर चुकी है।



एफआईआर में पांचवे नंबर पर छांगुर बाबा के भतीजे मोहम्मद सबरोज, छठे नंबर पर रशीद, सातवें नंबर पर छांगुर के भतीजे शहाबुद्दीन, आठवें नंबर पर रमज़ान और नौवें नंबर पर नागपुर के ईदुल इस्लाम का नाम है। एफआईआर में साफ़ लिखा है कि अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट में महाराष्ट्र के नागपुर निवासी ईदुल इस्लाम की अहम भूमिका है। ईदुल इस्लाम खुद को भारत प्रतीकार्थ सेवा संघ का राष्ट्रीय महासचिव बताता है।



ईदुल इस्लाम की कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों के साथ फोटो भी है। इन तस्वीरों का इस्तेमाल अपनी संस्था के बैनर और पोस्टर में करता है। ईदुल समेत सभी आरोपित अभी तक पुलिस, एसटीएफ व एटीएस की पकड़ से दूर हैं। इसमें सबरोज, शहाबुद्दीन, रशीद, रमज़ान के खिलाफ आजमगढ़ के देवगांव थाने में भी एफआईआर दर्ज है।

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मामले में नाम आया पर FIR में नहीं

पूरे मामले में अफसरों ने साजिशकर्ताओं के रूप में मोहम्मद अहमद का भी नाम लिया है। हालांकि वह एफआईआर में नामजद नहीं है। बताते हैं कि पुणे में जिस 16 करोड़ की जमीन की डील छांगुर बाबा गिरोह द्वारा की जा रही थी, वह मोहम्मद अहमद ही करवा रहा था। एटीएस व अन्य को मोहम्मद अहमद की तलाश है लेकिन वह मिल नहीं रहा है, जबकि मीडिया के बीच वह बयान दे रहा है।



महाराष्ट्र भेजी एटीएस की टीम

एटीएस ने छांगुर और नीतू से पूछताछ के बाद एक टीम को महाराष्ट्र भेजा है। इसके अलावा कुछ अन्य ठिकानों पर भी टीमें भेजी गई हैं। एटीएस बैंक खातों के विश्लेषण में सबसे ज्यादा उलझी हुई है। कई खातों से जुड़ी पूरी जानकारियां नहीं मिल पाई हैं।

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