नई दिल्ली: दुश्मन देशों की किसी भी साजिश को नाकाम करने के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) विदेश से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रही है। इससे जब तक भारत में ही बने AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तैयार नहीं हो जाते, तब तक वायुसेना को मजबूती मिलेगी। इन लड़ाकू विमान को खरीदना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि चीन पहले से ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर काम कर रहा है। वह पाकिस्तान को भी अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान दे सकता है। ऐसे में भारत को भी अब तैयार होना होगा।
40-60 लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी
एक स्क्वाड्रन में लगभग 18 से 20 विमान होते हैं। रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि भारतीय वायुसेनाने सरकार को अपनी भविष्य की जरूरतों के बारे में जानकारी दी है। भारतीय वायुसेना सुनिश्चित करना चाहती है कि दुश्मनों को किसी तरह का मौका न मिले। भारतीय वायुसेना लगभग दो से तीन स्क्वाड्रन (40-60 विमान) खरीदना चाहती है। जब तक भारत में बने विमान तैयार नहीं हो जाते, तब तक ये विमान काम आएंगे। रक्षा सचिव आर.के. सिंह की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की सिफारिश की है। इससे देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर हमारी ताकत और तैयारी बेहतर होगी।
भारत के पास अमेरिका और रूस दो विकल्प
भारत के पास अमेरिका और रूस के रूप ममें दो विकल्प हैं। अमेरिका F-35 लड़ाकू विमान देने को तैयार है, जबकि रूस Su-57 विमान देने का प्रस्ताव दे रहा है। हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन इस पर बातचीत चल रही है। भारत ने कुछ साल पहले FGFA (फिफ्थ जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट) परियोजना से हाथ खींच लिया था, लेकिन उसके पास फिर से शामिल होने का विकल्प है। अमेरिका ने F-35 विमान यूरोप और अन्य देशों को बेचे हैं।
भारत 114 आधुनिक 4.5 प्लस पीढ़ी के लड़ाकू विमान भी बनाना चाहता है। यह काम किसी विदेशी देश के साथ मिलकर "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। इसके लिए सरकार एक टेंडर जारी करने के बाद सरकार-से-सरकार के बीच समझौता कर सकती है।वहीं, IAF इन विमानों का इस्तेमाल पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर अपनी ताकत दिखाने के लिए करना चाहती है। IAF का लक्ष्य है कि इन सीमाओं पर हमेशा एक मजबूत सेना तैनात रहे।
40-60 लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी
एक स्क्वाड्रन में लगभग 18 से 20 विमान होते हैं। रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि भारतीय वायुसेनाने सरकार को अपनी भविष्य की जरूरतों के बारे में जानकारी दी है। भारतीय वायुसेना सुनिश्चित करना चाहती है कि दुश्मनों को किसी तरह का मौका न मिले। भारतीय वायुसेना लगभग दो से तीन स्क्वाड्रन (40-60 विमान) खरीदना चाहती है। जब तक भारत में बने विमान तैयार नहीं हो जाते, तब तक ये विमान काम आएंगे। रक्षा सचिव आर.के. सिंह की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की सिफारिश की है। इससे देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर हमारी ताकत और तैयारी बेहतर होगी।
भारत के पास अमेरिका और रूस दो विकल्प
भारत के पास अमेरिका और रूस के रूप ममें दो विकल्प हैं। अमेरिका F-35 लड़ाकू विमान देने को तैयार है, जबकि रूस Su-57 विमान देने का प्रस्ताव दे रहा है। हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन इस पर बातचीत चल रही है। भारत ने कुछ साल पहले FGFA (फिफ्थ जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट) परियोजना से हाथ खींच लिया था, लेकिन उसके पास फिर से शामिल होने का विकल्प है। अमेरिका ने F-35 विमान यूरोप और अन्य देशों को बेचे हैं।
भारत 114 आधुनिक 4.5 प्लस पीढ़ी के लड़ाकू विमान भी बनाना चाहता है। यह काम किसी विदेशी देश के साथ मिलकर "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। इसके लिए सरकार एक टेंडर जारी करने के बाद सरकार-से-सरकार के बीच समझौता कर सकती है।वहीं, IAF इन विमानों का इस्तेमाल पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर अपनी ताकत दिखाने के लिए करना चाहती है। IAF का लक्ष्य है कि इन सीमाओं पर हमेशा एक मजबूत सेना तैनात रहे।
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