कोटा: राजस्थान के कोटा जिले में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वाले दो तस्करों को पकड़ा गया है। मामला कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के बालिता गांव का है। यहां वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वन्यजीवों की अंगों की तस्करी का पर्दाफाश किया है। विभाग की टीम ने दो तस्करों दीपक और जयराम को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से बारहसिंगा के सींग, मॉनिटर लिजर्ड (गोह) के प्राइवेट पार्ट, जिंदा कछुए और तेंदुए के नाखून बरामद किए गए। वन विभाग की टीम मामले की जांच कर रही है।
कोटा के डीएफओ अनुराग भटनागर के अनुसार, विभाग को पहले से सूचना थी कि इलाके में वन्यजीवों के अंगों की खरीद-फरोख्त हो रही है। इसके बाद टीम ने खरीदार बनकर जाल बिछाया और तस्करों को रंगे हाथ पकड़ लिया।
400 रुपये में अंग की डील, 28 जोड़ी अंग हुए जब्त
जांच में सामने आया कि मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट की कीमत 400 रुपये बताई गई थी। जैसे ही नकली खरीदार ने 50 पीस लेने की बात कही, तस्कर ने 45 हजार रुपये की मांग की। इसी दौरान वन विभाग की टीम ने छापा मारकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मौके से 28 जोड़ी मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट, 6 शिकार के फंदे और दो जीवित कछुए भी बरामद हुए। झोपड़ियों की तलाशी के दौरान यह भी पता चला कि अधिकतर झुग्गियों में महिलाएं और बच्चे रह रहे थे जबकि पुरुष मौके पर नहीं थे।
डीएफओ का बयान- अंधविश्वास के कारण जानवरों का शिकार
डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि मॉनिटर लिजर्ड के अंगों को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं। उन्होंने कहा, 'कई लोगों के मन में यह भ्रांतियां हैं कि मॉनिटर लिजर्ड का प्राइवेट पार्ट को घर में रखने से पैसा आता है, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।'
उन्होंने यह भी बताया कि नर-मादा में फर्क न पता होने के कारण आरोपियों ने कई मॉनिटर लिजर्ड का शिकार किया है। वन विभाग अब लोगों को जागरूक करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि इस तरह के अंधविश्वासों और वन्यजीवों की तस्करी को रोका जा सके।
कोटा के डीएफओ अनुराग भटनागर के अनुसार, विभाग को पहले से सूचना थी कि इलाके में वन्यजीवों के अंगों की खरीद-फरोख्त हो रही है। इसके बाद टीम ने खरीदार बनकर जाल बिछाया और तस्करों को रंगे हाथ पकड़ लिया।
400 रुपये में अंग की डील, 28 जोड़ी अंग हुए जब्त
जांच में सामने आया कि मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट की कीमत 400 रुपये बताई गई थी। जैसे ही नकली खरीदार ने 50 पीस लेने की बात कही, तस्कर ने 45 हजार रुपये की मांग की। इसी दौरान वन विभाग की टीम ने छापा मारकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मौके से 28 जोड़ी मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट, 6 शिकार के फंदे और दो जीवित कछुए भी बरामद हुए। झोपड़ियों की तलाशी के दौरान यह भी पता चला कि अधिकतर झुग्गियों में महिलाएं और बच्चे रह रहे थे जबकि पुरुष मौके पर नहीं थे।
डीएफओ का बयान- अंधविश्वास के कारण जानवरों का शिकार
डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि मॉनिटर लिजर्ड के अंगों को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं। उन्होंने कहा, 'कई लोगों के मन में यह भ्रांतियां हैं कि मॉनिटर लिजर्ड का प्राइवेट पार्ट को घर में रखने से पैसा आता है, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।'
उन्होंने यह भी बताया कि नर-मादा में फर्क न पता होने के कारण आरोपियों ने कई मॉनिटर लिजर्ड का शिकार किया है। वन विभाग अब लोगों को जागरूक करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि इस तरह के अंधविश्वासों और वन्यजीवों की तस्करी को रोका जा सके।
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