पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनाव में क्या सुल्तानगंज अगुआनी पुल मुद्दा बनने जा रहा है? या फिर राजनीति की बनी बनाई जातीय आधार पर पार्टियों के बीच ही यह चुनावी जंग का गवाह बनेगा। क्या इस गिरते पुल की कहानी कम से कम भागलपुर और खगड़िया के आसपास के विधानसभा के चुनावी परिणाम को बदल पाएगा? सुल्तानगंज अगुआनी पुल को क्यूं चुनावी मुद्दा बनना चाहिए? जानते है ...।
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट सुल्तानगंज-अगुवानी पुल पिछले 10 वर्षों से पूरा होने का इंतजार कर रहा था। एसपी सिंघल कंपनी की ओर से 1,710 करोड़ रुपए लागत से बनने वाला यह पुल लगातार इंजीनियरों की लापरवाही,घटिया सामग्री के कारण तीन बार गिरा। इसके साथ साथ एसपी सिंघल कंपनी के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वास भी टूटा। यह दीगर कि एसपी सिंघल कंपनी को दंड स्वरूप उसी राशि में पुल निर्माण करने का निर्देश मिला।
कितनी बार गिरा सुल्तानगंज अगुआनी पुल
सुल्तानगंज अगुआनी पुल तीन सालों में तीन बार गिरा तो जरूर पर पुलों के लगातार ध्वस्त होने के बीच यह उतना नहीं चौंकाया जितना की परवत्ता के स्थानीय जदयू के विधायक डॉ. संजीव कुमार के लगाए आरोपों को अनदेखी करना। ये सत्ताधारी दल के विधायक थे जिन्होंने सदन से सड़क तक सुल्तानगंज अगुआनी पुल के घटिया निर्माण के बारे में चीख चीख कर कहा। पर सत्ता जैसे कान में तेल डाल कर बैठी रही। आश्चर्य तो यह रहा है कि यह पुल तीन तीन बार टूटा पर पुल निर्माण कंपनी से सरकार का विश्वास न टूटा न तो उन्हें दिए गए अन्य पूल निर्माण पर रोक लगाई।
कब कब टूटा पुल
पहले 27 अप्रैल 2022 को इस निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया था। तेज आंधी और बारिश में करीब 100 फीट लंबा हिस्सा भर भराकर नदी में गिर गया था।
दूसरी बार 4 जून 2023 को सुल्तानगंज-अगुवानी गंगा नदी पर बन रहा निर्माणाधीन फोरलेन पुल जमींदोज हो गया था। निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया था। उस वक्त अगुवानी की तरफ से पुल के पाया नंबर 10, 11, 12 के ऊपर का पूरा सुपर स्ट्रक्चर गिर गया था, जो लगभग 200 मीटर का हिस्सा था।
तीसरी बार अगस्त 2024 में सुल्तानगंज से अगुवानी घाट की तरफ से पिलर नंबर नौ और दस के बीच का हिस्सा गंगा नदी में समा गया। इस महासेतु का निर्माण एसपी सिंगला कंपनी करा रही है।
क्यों गिरा यह पुल?
इस पुल के गिरने के बाद जो सवाल बिहार विधानसभा में उठे उनमें महत्वपूर्ण थेघटिया बालू का इंतज़ाम। सुनहले बालू के बदले गंगा नदी के बालू का इस्तेमाल किया गया। सीमेंट की जो क्वालिटी तय की गई थी और जिसके लिए कंपनियों के नाम भी सुनिश्चित किए गए थे उनसे सीमेंट नहीं लिए गए। घर इस्तेमाल करने वाले सीमेंट का उपयोग किया गया छड़े भी घटिया कंपनी के वह भीं जंग लगा इस्तेमाल किया गया था। इस पुल के निर्माण में तीन नंबर का गिट्टी इस्तेमाल किया था।
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट सुल्तानगंज-अगुवानी पुल पिछले 10 वर्षों से पूरा होने का इंतजार कर रहा था। एसपी सिंघल कंपनी की ओर से 1,710 करोड़ रुपए लागत से बनने वाला यह पुल लगातार इंजीनियरों की लापरवाही,घटिया सामग्री के कारण तीन बार गिरा। इसके साथ साथ एसपी सिंघल कंपनी के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वास भी टूटा। यह दीगर कि एसपी सिंघल कंपनी को दंड स्वरूप उसी राशि में पुल निर्माण करने का निर्देश मिला।
कितनी बार गिरा सुल्तानगंज अगुआनी पुल
सुल्तानगंज अगुआनी पुल तीन सालों में तीन बार गिरा तो जरूर पर पुलों के लगातार ध्वस्त होने के बीच यह उतना नहीं चौंकाया जितना की परवत्ता के स्थानीय जदयू के विधायक डॉ. संजीव कुमार के लगाए आरोपों को अनदेखी करना। ये सत्ताधारी दल के विधायक थे जिन्होंने सदन से सड़क तक सुल्तानगंज अगुआनी पुल के घटिया निर्माण के बारे में चीख चीख कर कहा। पर सत्ता जैसे कान में तेल डाल कर बैठी रही। आश्चर्य तो यह रहा है कि यह पुल तीन तीन बार टूटा पर पुल निर्माण कंपनी से सरकार का विश्वास न टूटा न तो उन्हें दिए गए अन्य पूल निर्माण पर रोक लगाई।
कब कब टूटा पुल
पहले 27 अप्रैल 2022 को इस निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया था। तेज आंधी और बारिश में करीब 100 फीट लंबा हिस्सा भर भराकर नदी में गिर गया था।
दूसरी बार 4 जून 2023 को सुल्तानगंज-अगुवानी गंगा नदी पर बन रहा निर्माणाधीन फोरलेन पुल जमींदोज हो गया था। निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया था। उस वक्त अगुवानी की तरफ से पुल के पाया नंबर 10, 11, 12 के ऊपर का पूरा सुपर स्ट्रक्चर गिर गया था, जो लगभग 200 मीटर का हिस्सा था।
तीसरी बार अगस्त 2024 में सुल्तानगंज से अगुवानी घाट की तरफ से पिलर नंबर नौ और दस के बीच का हिस्सा गंगा नदी में समा गया। इस महासेतु का निर्माण एसपी सिंगला कंपनी करा रही है।
क्यों गिरा यह पुल?
इस पुल के गिरने के बाद जो सवाल बिहार विधानसभा में उठे उनमें महत्वपूर्ण थे
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