पटना: डबल वोटर आईडी मामले में प्रशांत किशोर की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। बिहार के रोहतास जिला प्रशासन नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बिहार की राजनीति में अपनी 'जन सुराज' यात्रा से सक्रियता बढ़ाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर नए विवाद के केंद्र में हैं। उन पर दो अलग-अलग राज्यों के वोटर आईडी कार्ड रखने का आरोप है। एक बिहार का और दूसरा पश्चिम बंगाल का। इस सनसनीखेज खुलासे ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। विवाद गहराते ही, चुनाव आयोग भी हरकत में आ गया है और इस दावे की सच्चाई जानने के लिए जांच शुरू कर दी है। इसके लिए नोटिस भी जारी कर दिया गया है। इस पूरे मामले पर, प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' ने तुरंत एक बयान जारी कर सफाई दी है।
डबल वोटर आईडी जन सुराज की सफाईजन सुराज पार्टी ने अपने प्रवक्ता सौरभ सिंह के माध्यम से इस मामले पर सफाई पेश की है। उनका दावा है कि प्रशांत किशोर ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान काम करते समय वहां की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया था, जो कि नियमों के अनुसार किसी भी व्यक्ति के लिए अपने काम या व्यवसाय के लिए अन्य राज्य में रहते हुए संभव है। सौरभ सिंह ने बताया कि 2022 में बिहार लौटने और 'जन सुराज' यात्रा शुरू करने के बाद, पीके ने स्वयं चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि उनका नाम बंगाल की मतदाता सूची से हटाकर बिहार में जोड़ा जाए। उनका तर्क है कि चूंकि ये आवेदन काफी पहले दिया जा चुका था, इसलिए प्रक्रिया पूरी न होने की जिम्मेदारी पीके की नहीं है।
ऐक्शन मोड में EC, अब नोटिस की तैयारीइस विवाद के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि बिहार में हाल ही में हुए 'वोटर लिस्ट इंटेंसिव रिव्यू' (SIR) के दौरान प्रशांत किशोर ने यह मामला फिर से क्यों नहीं उठाया? इस पर जन सुराज ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि आवेदन पहले ही दिया जा चुका था। पार्टी के अनुसार, पीके केवल आयोग की ओर से प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, ये मामला अब सीधे चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है, जिसने इन दावों की पड़ताल शुरू कर दी है। दो वोटर आईडी होने की पुष्टि होने पर प्रशांत किशोर को निश्चित रूप से नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले सामने आया ये विवाद पीके की राजनीतिक सफर के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
डबल वोटर आईडी जन सुराज की सफाईजन सुराज पार्टी ने अपने प्रवक्ता सौरभ सिंह के माध्यम से इस मामले पर सफाई पेश की है। उनका दावा है कि प्रशांत किशोर ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान काम करते समय वहां की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया था, जो कि नियमों के अनुसार किसी भी व्यक्ति के लिए अपने काम या व्यवसाय के लिए अन्य राज्य में रहते हुए संभव है। सौरभ सिंह ने बताया कि 2022 में बिहार लौटने और 'जन सुराज' यात्रा शुरू करने के बाद, पीके ने स्वयं चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि उनका नाम बंगाल की मतदाता सूची से हटाकर बिहार में जोड़ा जाए। उनका तर्क है कि चूंकि ये आवेदन काफी पहले दिया जा चुका था, इसलिए प्रक्रिया पूरी न होने की जिम्मेदारी पीके की नहीं है।
ऐक्शन मोड में EC, अब नोटिस की तैयारीइस विवाद के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि बिहार में हाल ही में हुए 'वोटर लिस्ट इंटेंसिव रिव्यू' (SIR) के दौरान प्रशांत किशोर ने यह मामला फिर से क्यों नहीं उठाया? इस पर जन सुराज ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि आवेदन पहले ही दिया जा चुका था। पार्टी के अनुसार, पीके केवल आयोग की ओर से प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, ये मामला अब सीधे चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है, जिसने इन दावों की पड़ताल शुरू कर दी है। दो वोटर आईडी होने की पुष्टि होने पर प्रशांत किशोर को निश्चित रूप से नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले सामने आया ये विवाद पीके की राजनीतिक सफर के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
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