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बेटी की 'ज्यादा काम' से मौत, मां की भावुक चिट्ठी पर कंपनी के चेयरमैन का जवाब सुनिए

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नई दिल्‍ली: 26 साल की अन्‍ना सेबेस्टियन पेरयिल की मौत के बाद उनकी मां ने EY इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को एक भावुक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कंपनी की कार्य संस्कृति पर सवाल उठाए थे। कहा था कि उनकी बेटी की मौत ज्‍यादा काम के बोझ के कारण हुई। अन्ना मार्च में पुणे में EY से जुड़ी थीं। चार महीने बाद ही उनका निधन हो गया। मां अनीता ऑगस्टाइन ने अपने पत्र में लिखा कि अन्ना को EY में शामिल होने की बहुत खुशी थी। लेकिन, कंपनी का काम का बोझ इतना ज्‍यादा था कि वह रोज रात 1 बजे तक काम करती रहती थी। उन्होंने बताया कि अन्ना को सीने में जकड़न की शिकायत भी थी। काम का दबाव इतना था कि वह डॉक्टर के पास जाने के बाद भी काम पर जाती रही।अनीता ने आगे लिखा कि अन्ना के अंतिम संस्कार में EY का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ। इससे उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका पत्र कंपनी में बदलाव लाएगा और किसी और परिवार को ऐसा दर्द नहीं सहना पड़ेगा। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर EY की कार्य संस्कृति पर सवाल उठने लगे। जवाब में EY इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने बयान जारी किया। उन्‍होंने कहा कि उन्हें अन्ना की मौत का गहरा दुख है। एक पिता होने के नाते वह समझ सकते हैं कि उनके परिवार पर क्या बीत रही होगी। राजीव मेमानी ने क्‍या-क्‍या कहा? मेमानी ने कहा, 'अन्ना के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। हालांकि, उनके जीवन में आए इस खालीपन को कोई नहीं भर सकता। मुझे इस बात का बहुत दुख है कि हम अन्ना के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। यह हमारी संस्कृति के बिल्कुल विपरीत है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। आगे कभी नहीं होगा।'उन्होंने आगे कहा कि कंपनी अपने कर्मचारियों की भलाई को सर्वोपरि मानती है। सोशल मीडिया पर उठाई जा रही बातों पर ध्यान दिया जा रहा है। मेमानी ने कहा, 'मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारे कर्मचारियों की भलाई मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से इस उद्देश्य को आगे बढ़ाऊंगा। मैं एक सौहार्दपूर्ण कार्यस्थल बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं। जब तक यह उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा।' अन्ना के पिता ने भी बताया कि उनकी बेटी को ठीक से सोने और खाने का समय नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने कहा कि अन्ना को अपने काम से बहुत लगाव था। वह हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती थी।इस घटना ने कॉर्पोरेट जगत में काम के घंटों और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहस छेड़ दी है। कई लोगों का कहना है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों पर काम का दबाव कम करना चाहिए। उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। सरकार ने दिए जांच के आदेश केंद्रीय श्रम मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है और कहा है कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अनीता की चिट्ठी के कुछ अंश पढ़ लीजिए यह घटना इस बात का एक और कड़वा सच बयां करती है कि आज के समय में काम के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में युवाओं पर कितना दबाव होता है। यह जरूरी है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों को एक स्वस्थ और संतुलित कार्य वातावरण प्रदान करें। यहां अन्ना की मां के EY इंडिया के चेयरमैन को लिखे गए पत्र के कुछ अंश दिए हैं:23 नवंबर को अन्ना ने CA परीक्षा पास की। 19 मार्च को EY पुणे में नौकरी जॉइन की। वो जीवन, सपनों और भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित थी। EY उसकी पहली नौकरी थी और वो इतनी प्रतिष्ठित कंपनी का हिस्सा बनकर रोमांचित थी। लेकिन चार महीने बाद 20 जुलाई को मेरी दुनिया तबाह हो गई जब मुझे ये विनाशकारी खबर मिली कि अन्ना अब इस दुनिया में नहीं रही। वो सिर्फ 26 साल की थी।अन्ना पर काम का बोझ इतना ज्‍यादा था कि पिछले एक हफ्ते से उसे सीने में जकड़न की शिकायत थी। वो रोज रात 1 बजे अपने PG पहुंचती थी। हमने डॉक्टर को दिखाया, लेकिन काम का दबाव इतना था कि वो छुट्टी नहीं ले पाई।मुझे ये बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि अपने आखिरी दो दिन, जो वो हमारे साथ बिताने वाली थी, वो भी काम के दबाव के कारण एन्जॉय नहीं कर पाई।मुझे ये बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि अन्ना के अंतिम संस्कार में आपकी कंपनी का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ। इससे हमें बहुत दुख पहुंचा है।यह घटना एक चेतावनी है कि हमें काम के प्रति अपने नजरिए को बदलने की जरूरत है। हमें यह समझना होगा कि जीवन में काम के अलावा भी बहुत कुछ है।
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